नई दिल्ली, 4 अगस्त। कांग्रेस ने देशभर में कृषि क्षेत्र में सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2019 में शुरू की गई ‘पीएम-कुसुम’ पहल के क्रियान्वयन को लेकर रविवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार योजनाओं के क्रियान्वयन में इस तरह की ‘‘लापरवाही’’ को जारी नहीं रख सकती।
कांग्रेस महासचिव और पार्टी के संचार विभाग के प्रभारी जयराम रमेश ने कहा कि नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने देश भर में कृषि क्षेत्र में सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए 2019 में बड़े धूमधाम से शुरू की गई ‘पीएम-कुसुम’ योजना के बारे में कुछ ‘‘चौंकाने वाले तथ्य’’ सामने रखे हैं।
रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘ये 2026 में लक्ष्य को पूरा किए जाने से दो साल पहले यानी 2024 की अद्यतन जानकारी है : वादा- कृषि भूमि पर 10,000 मेगावाट के विकेन्द्रीकृत सौर ऊर्जा संयंत्र लगाए जाएंगे। हकीकत- 256 मेगावाट के संयंत्र ही लगाए गए हैं (जा लक्ष्य का 2.56 प्रतिशत है)।’’ उन्होंने लिखा, ‘‘वादा: 14 लाख सौर पंप लगाए जाएंगे। हकीकत: 3.97 लाख सौप पंप लगाए गए (जो लक्ष्य का लगभग 28 प्रतिशत है)।’’
रमेश ने कहा, ‘‘वादा: 35 लाख अतिरिक्त पंप को सौर ऊर्जा से संचालित करने योग्य बनाया जाएगा। वास्तविकता: 13,562 पंप को सौर ऊर्ज से संचालित करने योग्य बनाया गया (जो लक्ष्य का 0.38 प्रतिशत है)।’’ उन्होंने कहा कि जिस एकमात्र क्षेत्र में योजना के तहत ठीक-ठाक प्रदर्शन किया गया है वह सौर पंपों का लगाया जाना है।
उन्होंने कहा कि आगे के विश्लेषण से पता चलता है कि अधिकतर पंप केवल तीन राज्यों छत्तीसगढ़, राजस्थान और महाराष्ट्र में स्थापित किए गए हैं और गौर करने वाली बात यह है कि इन सभी राज्यों में ‘सिंगल-इंजन’ सरकार थी, जिसे इस अवधि (2019-2024) के अधिकतर समय में कांग्रेस और उसके गठबंधन सहयोगियों द्वारा चलाया गया।
उन्होंने कहा कि जलवायु संवेदनशीलता और स्वच्छ ऊर्जा के लिए पर्याप्त आर्थिक प्रोत्साहन से साफ है कि परंपरागत स्रोतों के बजाय नवीकरणीय स्रोतों से ऊर्जा उत्पादन भारत के लिए एक प्रमुख आर्थिक प्राथमिकता है। उन्होंने कहा, ‘‘ ‘नॉन-बायोलॉजिकल’ प्रधानमंत्री और उनकी सरकार योजनाओं के क्रियान्वयन में ऐसी लापरवाही जारी नहीं रख सकती।’’