नई दिल्ली, 8 अप्रैल। कांग्रेस ने 18 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के लिए कोविड-19 टीके की एहतियाती खुराक (बूस्टर डोज) की उपलब्धता की घोषणा के बाद शुक्रवार को केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि ‘पैसे दो और टीका लगवाओ की नीति जनता के साथ छल है क्योंकि लोग पहले से ही महंगाई के बोझ से परेशान हैं। कांग्रेस पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि सरकार की यह नीति गरीबों और अमीरों तथा गांवों एवं शहरों के बीच भेदभाव करने वाली है।
गौरतलब है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 10 अप्रैल से निजी टीकाकरण केंद्रों में 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोगों के लिए कोविड-19 टीके की एहतियाती खुराक उपलब्ध कराए जाने की शुक्रवार को घोषणा की।
अदार पूनावाला बोले – उपभोक्ताओं को 600 रुपये में मिलेगी बूस्टर डोज
इसी क्रम में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) के सीईओ आदर पूनावाला ने कहा कि कोविशील्ड की बूस्टर खुराक की कीमत रुपये 600 प्लस टैक्स और कोवोवैक्स (एक बार बूस्टर के रूप में स्वीकृत होने के बाद) 900 रुपये प्लस टैक्स पर उपलब्ध होगी। पूनावाला ने यह भी कहा कि सीरम इंस्टीट्यूट बूस्टर की पेशकश करने वाले अस्पतालों और वितरकों को भारी छूट की पेशकश करेगा।
नागरिकों की सुरक्षा करने में सुनियोजित भेदभाव और अकल्पनीय मूर्खता जारी
फिलहाल रणदीप सुरजेवाला ने एक वीडियो ट्वीट में कहा, ‘केविड-19 के खिलाफ हमारे नागरिकों की सुरक्षा करने में सुनियोजित भेदभाव और अकल्पनीय मूर्खता जारी है। बूस्टर खुराक की नीति असमानता और गरीबों एवं अमीरों तथा शहर एवं गांव के बीच की असमानता एवं अलगाव पर आधारित है। यह विशुद्ध रूप से छल है।’
देश के युवा, गरीब, वंचित, मध्यमवर्ग, नौकरीपेशा लोगों को कोरोना के बूस्टर डोज लगवाने के लिए “पैसे दो और लगवाओ” की भेदभावपूर्ण नीति बारे मोदी सरकार को सवालों का जबाब भी देना होगा और इस नीति में बदलाव भी करना होगा।
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— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) April 8, 2022
उन्होंने कहा, “देश के युवा, गरीब, वंचित, मध्यमवर्ग, नौकरीपेशा लोगों को कोरोना के बूस्टर डोज लगवाने के लिए ‘पैसे दो और टीका लगवाओ’ की भेदभावपूर्ण नीति के बारे में मोदी सरकार को सवालों का जबाब भी देना होगा और इस नीति में बदलाव भी करना होगा।”
‘बूस्टर खुराक लेने के लिए पैसे का भुगतान क्यों जबकि यह हर देश में मुफ्त‘
सुरजेवाला ने सवाल किया, ‘18 से 60 वर्ष के उम्र के भारतीय नागरिकों को बूस्टर खुराक लेने के लिए पैसे का भुगतान क्यों करना चाहिए जबकि यह हर देश में मुफ्त है?’ उन्होंने यह भी पूछा, ‘गरीब, वंचित और कर्म वेतन पाने वाला वर्ग 800-600 रुपये की बूस्टर डोज और 200 रुपये के इंजेक्शन का खर्च कैसे वहन कर पाएगा। क्या आप दो वर्ग बना रहे हैं – एक जो किसी भी तरह खर्च उठा ले और दूसरा यह नहीं कर सके?’
सुरजेवाला ने सवाल किया, ‘आम लोगों, मध्य वर्ग और वेतनभोगी वर्ग्र पर अतिरिक्त बोझ क्यों डाला जाए, जब वे पहले से ही पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस, सीएनजी, दवाओं और सब्जियों के दाम बढ़ने से परेशान हैं?’
उन्होंने यह भी प्रश्न किया, ‘सिर्फ निजी अस्पतालों के माध्यम से बूस्टर खुराक क्यों दी जाएगी, सरकारी अस्पतालों को इससे अलग क्यों रखा गया? क्या यह सही नहीं है कि ग्रामीण इलाकों और देश के कुछ अन्य हिस्सों में बहुत कम निजी अस्पताल हैं? क्या आप यह कहना चाहते हैं कि ग्रामीण आबादी को बूस्टर खुराक देने के बारे में आपको कोई परवाह नहीं है?’