नई दिल्ली, 11 अगस्त। कांग्रेस ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति, सेवा की शर्तों और कार्यकाल के विनियमन से संबंधित विधेयक के जरिए चुनावी वर्ष में निर्वाचन आयोग पर नियंत्रण सुनिश्चित करना चाहती है।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने वर्ष 2012 में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी द्वारा तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखे गए पत्र का हवाला देकर यह भी कहा कि आडवाणी ने मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए जिस समिति का प्रस्ताव दिया था, मोदी सरकार ने उसके खिलाफ कदम उठाया है।
रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “सीईसी और चुनाव आयुक्तों का चयन करने के लिए आडवाणी के प्रस्ताव के मुताबिक, समिति में प्रधान न्यायाधीश के साथ संसद के दोनों सदनों के विपक्ष के नेता शामिल होने थे।” उन्होंने दावा किया, ” मोदी सरकार द्वारा लाया गया सीईसी विधेयक न केवल आडवाणी के प्रस्ताव के खिलाफ है, बल्कि 2 मार्च, 2023 के पांच न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ के फैसले को भी निरस्त करता है।”
उनके अनुसार, अपने वर्तमान स्वरूप में, सीईसी विधेयक समिति के भीतर सरकार का हस्तक्षेप सुनिश्चित करेगा। रमेश ने आरोप लगाया, “चुनावी वर्ष में मोदी सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम इस बात को और पुख्ता करता है कि मोदी जी चुनाव आयोग पर नियंत्रण सुनिश्चित करना चाहते हैं।”
राज्यसभा में बृहस्पतिवार को विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्त (नियुक्ति, सेवा शर्तें और पदावधि) विधेयक, 2023 पेश किया। इसमें मुख्य निर्वाचन आयुक्त और आयुक्तों के चयन के लिए समिति में प्रधान न्यायाधीश के स्थान पर एक कैबिनेट मंत्री को शामिल करने का प्रस्ताव किया गया है।