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चंडीगढ़ को लेकर तनातनी : भगवंत मान ने मांगा पंजाब का पूरा अधिकार, खट्टर बोले – हरियाणा का भी हक

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चंडीगढ़, 1 अप्रैल। केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ पर अधिकार को लेकर पंजाब और केंद्र सरकार के बीच खुलकर तनातनी शुरू हो गई है। इस क्रम में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने जहां चडीगढ़ पर पंजाब के पूर्ण अधिकार की मांग उठा दी है वहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा है कि चंडीगढ़ पर उनके राज्य का भी हक है।

चंडीगढ़ को पंजाब में शामिल करने का प्रस्ताव विधानसभा में पारित

दरअसल, केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ के कर्मचारियों पर केंद्रीय सेवा नियमों के लागू होने से पंजाब में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) सरकार नाराज हो उठी है। इसी क्रम में सीएम भगवंत मान ने शुक्रवार को विधानसभा का विशेष सत्र बुला लिया। इस दौरान चंडीगढ़ को पंजाब में शामिल करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया।

कांग्रेस विधायकों का विरोध, भाजपा ने सदन का बहिष्कार किया

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने चंडीगढ़ में केंद्रीय नियमों लागू करने के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया। वित्तमंत्री हरपाल चीमा ने मुख्यमंत्री मान के प्रस्ताव का समर्थन किया। इस दौरान कांग्रेसी विधायकों ने रोकटोक शुरू किया तो हंगामा शुरू हो गया। इसी क्रम में भगवंत मान ने केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ को पंजाब में शामिल करने का प्रस्ताव पेश कर दिया, जिसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। हालांकि, भारतीय जनता पार्टी ने इसके विरोध में सदन से बहिष्कार किया।

पंजाब बीजेपी के अध्यक्ष अश्विनी शर्मा ने कहा – मुझे अपनी बात पूरी नहीं रखने दी गई

पंजाब बीजेपी के अध्यक्ष और विधायक अश्विनी शर्मा का कहना था, ‘पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया था। सत्र में जो प्रस्ताव सरकार लेकर आई थी, उस पर तथ्य आधारित चर्चा होनी चाहिए थी। फिर चाहे कोई पक्ष में बोले या विपक्ष में, किसी को रोका नहीं जाना चाहिए था। लेकिन मुझे अपनी बात पूरी नहीं रखने दी गई। मुझे बोलने से रोका गया। पंजाब की जनता तक सही बात पहुंचे, इसलिए अपनी बात मीडिया के माध्यम से रख रहा हूं।’

लोगों को गुमराह करने के लिए विशेष सत्र बुलाया गया

भाजपा विधायक ने कहा, ‘पंजाब में एक परंपरा शुरू हो गई है कि अपनी नाकामयाबी छिपाने के लिए केंद्र पर आरोप लगाकर हाय-तौबा मचाना शुरू कर दो। यानी केंद्र की सरकार पर ठीकरा फोड़ दो। इसी कड़ी में लोगों को गुमराह करने के लिए आज विशेष सत्र बुलाया गया था।

अश्विनी शर्मा ने कहा, ‘मैंने एक सवाल किया कि पंजाब रिऑर्गेनाइजेशन एक्ट की कौन-सी धारा का उल्लंघन किया गया?  पंजाब में 1966 से लेकर 1985 तक चंडीगढ़ में केंद्र के सर्विस रूल लागू रहे। 1986 से 1991 तक सर्विस रूल और केंद्र का पे स्केल भी लागू रहा, उससे क्या चंडीगढ़ पर असर पड़ा? चंडीगढ़ के कर्मचारियों ने केंद्र के सर्विस रूल की डिमांड की थी, जिसके बाद यह फैसला लिया गया। राज्य सरकार को इस बारे में सोचना चाहिए कि चंडीगढ़ के कर्मचारियों को इसकी जरूरत आखिर क्यों पड़ी?’

प्रदेश सरकार अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रही

पंजाब भाजपा अध्यक्ष ने कहा, ‘चंडीगढ़ को लेकर हमारा स्टैंड क्लियर है कि चंडीगढ़ पर पंजाब का अधिकार है, लेकिन सर्विस रूल लागू करने से यह अधिकार कम नहीं होता। हमने इस प्रस्ताव का विरोध किया है। सदन में सरकार का रवैया ठीक नहीं था।  सबसे ज्यादा पंजाब के हित में पीएम मोदी ने फैसले किए हैं। प्रदेश सरकार जनता को गुमराह करके अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रही है।’

एकतरफा ऐसा प्रस्ताव लाना बेमानी बात : सीएम खट्टर

उधर, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का कहना है कि ऐसे प्रस्ताव पहले भी आ चुके हैं। चंडीगढ़ पर पंजाब का ही नहीं, हरियाणा का भी उतना ही हक है। उन्होंने कहा, ’60 और 40 के अनुपात में चंडीगढ़ का बंटवारा हुआ था। हिमाचल भी अपना हिस्सा चंडीगढ़ में से मांगता है। चंडीगढ़, हरियाणा और पंजाब की दोनों की राजधानी रहेगी। एकतरफा ऐसा प्रस्ताव लाना बेमानी बात है।