चेन्नई, 16 नवम्बर। दक्षिणी राज्य तमिलनाडु में राज्यपाल आर.एन. रवि और सत्तारूढ़ डीएमके सरकार के बीच एक बार फिर तकरार बढ़ गई है। इस क्रम में सुप्रीम कोर्ट द्वारा चिंता जताने के बावजूद गवर्नर ने गुरुवार को दस लंबित विधेयकों को विधानसभा लौटा दिया है।
इससे पहले गत 10 नवम्बर को इस संबंध में तमिलनाडु सरकार द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य विधानसभाओं द्वारा पारित विधेयकों को सहमति देने में राज्यपालों द्वारा की जा रही देरी पर ‘गंभीर चिंता’ व्यक्त की थी। अब राज्यपाल रवि द्वारा जिन 10 विधेयकों को लौटाया गया है, उनमें से दो तो पिछली अन्नाद्रमुक सरकार द्वारा पारित किए गए थे।
डीएमके ने कहा – राज्यपाल तमिलनाडु के लोगों को ‘मूर्ख‘ बनाने की कोशिश कर रहे
राज्यपाल द्वारा विधानसबा से पेश विधेयकों को लौटाने पर डीएमके प्रवक्ता सरवनन ने तीखी आलोचना की और कहा, ‘राज्यपाल ने अब 10 बिल वापस कर दिए हैं। हम राज्यपाल से पूछ रहे हैं आप जाकर सुप्रीम कोर्ट को यह क्यों नहीं बताते कि अगर राज्यपाल ने बिल पर हस्ताक्षर नहीं किया है, तो बिल खत्म हो गया है। वह सुप्रीम कोर्ट में जाकर यह दलील क्यों नहीं देते? वह तमिलनाडु के लोगों को बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रहे हैं। अब उनका धोखा डीएमके सरकार ने पकड़ लिया है और यह हमारे नेता एम.के. स्टालिन की जीत है।’
‘भाजपा और आरएसएस की तानाशाही के तहत काम कर रहे गवर्नर‘
डीएमके नेता ने राज्यपाल की काररवाई को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री अमित शाह पर भी निशाना साधा। उन्होंने दावा किया कि पीएम मोदी और अमित शाह तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन द्वारा किए गए विकास कार्यों से ईर्ष्या कर रहे हैं, इसलिए वे राज्यपाल के माध्यम से राज्य के प्रशासन में बाधा डालने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘भाजपा और आरएसएस की तानाशाही के तहत राज्यपाल तमिलनाडु सरकार के प्रशासन को बाधित करने की कोशिश कर रहे हैं। पीएम मोदी और अमित शाह हमारे मुख्यमंत्री के विकास कार्यों से बहुत ईर्ष्या करते हैं। मोदी-शाह राज्यपाल के माध्यम से यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि यहां पर कोई भी काम न हो।’
विधानसभा अध्यक्ष ने बुलाया विशेष सत्र
इस बीच तमिलनाडु विधानसभा के अध्यक्ष एम. अप्पावु ने शनिवार को एक विशेष सत्र बुलाया है, जिसमें उम्मीद की जा रही है कि सत्तारूढ़ द्रमुक राज्यपाल रवि द्वारा लौटाए गए सभी 10 विधेयकों को फिर से पास करके उन्हें राज्यपाल के पास दोबारा मंजूरी के लिए भेजेगी।