अयोध्या, 19 जनवरी। रामनगरी में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में अब सिर्फ दो दिन शेष हैं। प्राण-प्रतिष्ठा शुभ मुहूर्त, पौष शुक्ल कूर्म द्वादशी, विक्रम संवत 2080, यानी सोमवार 22 जनवरी को होनी है। इसे लेकर गत मंगलवार (16 जनवरी) से छह दिवसीय अनुष्ठान की शुरुआत हुई थी, जिसका आज चौथा दिन था। इस बीच रामलला की नई मूर्ति की संपूर्ण तस्वीर सामने आई है। सभी अनुष्ठान 21 जनवरी तक चलेंगे।
अनुष्ठान के चौथे दिन शुक्रवार को अरण्य मंथन के साथ हवन कुंड में अग्नि देवता का प्रवेश हुआ। अनुष्ठान के मुख्य यजमान डॉ. अनिल मिश्र ने अपनी पत्नी समेत अन्य गणमान्य व्यक्तियों की मौजूदगी में अनुष्ठान संपन्न कराया।
पूर्व निर्धारित अनुष्ठान में प्रातःकाल औषधाधिवास, केसराधिवास, घृताधिवास और सांय काल धान्याधिवास संस्कार संपन्न कराए गए। काशी के विद्वान पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित और पंडित गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ के साथ आए 121 आचार्यों ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच आज का अनुष्ठान संपन्न कराया। चौथे दिन की पूजा में यज्ञ कुंड में आहुतियां भी डाली गईं।
अधिवास प्रक्रिया एवं आचार्य
सामान्यत: प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में सात अधिवास होते हैं और न्यूनतम तीन अधिवास अभ्यास में होते हैं। समारोह के अनुष्ठान की सभी प्रक्रियाओं का समन्वय, समर्थन और मार्गदर्शन करने वाले 121 आचार्य होंगे। श्री गणेशवर शास्त्री द्रविड़ सभी प्रक्रियाओं की निगरानी, समन्वय और दिशा-निर्देशन करेंगे, तथा काशी के श्री लक्ष्मीकांत दीक्षित मुख्य आचार्य होंगे। भारतीय आध्यात्मिकता, धर्म, संप्रदाय, पूजा पद्धति, परंपरा के सभी विद्यालयों के आचार्य, 150 से अधिक परंपराओं के संत, महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर, श्रीमहंत, महंत, नागा सहित 50 से अधिक आदिवासी, गिरिवासी, तातवासी, द्वीपवासी आदिवासी परंपराओं के प्रमुख व्यक्तियों की कार्यक्रम में उपस्थिति रहेगी, जो श्री राम मंदिर परिसर में प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के दर्शन हेतु पधारेंगे।