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संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद को दी जानकारी – बीएसएनएल की आमदनी 5 वर्षों में घटी 6000 करोड़ रुपये

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नई दिल्ली, 14 दिसम्बर भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) की आय पिछले पांच वर्षों के दौरान 6000 करोड़ रुपये कम हो गई है, लेकिन अब भी उसका घाटा पहले जितना ही बना हुआ है। इस कारण केंद्र सरकार को अब भी किसी करिश्मे की उम्मीद है कि शायद बीएसएनएल फिर से अपने पैरों पर खड़ा हो जाए। केंद्र को यह उम्मीद इस कारण है कि उसने इसी वर्ष जुलाई में बीएसएनएल को पुनर्जीवित करने के लिए 1.64 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का एलान किया था।

सरकार द्वारा लोकसभा में रखे गए आंकड़ों के मुताबिक साल 2017-18 में बीएसएनएल को 25,071 करोड़ रुपये की आय हुई थी जबकि उसका घाटा 7,993 करोड़ रुपए था। इस वर्ष 30 सितम्बर तक बीएसएनएल को होने वाली आय 9,366 करोड़ रुपए है, वहीं उसका घाटा कम होकर 3,589 करोड़ों रुपये रह गया है। पिछले वर्ष उसे 19,052 करोड़ रुपये की आय हुई थी और घाटा 6,982 करोड़ रुपये का था।

 

सरकार को अब भी है बीएसएनएल के पुनर्जीवन की आशा

केंद्रीय संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भाजपा सांसद जीएम सिद्धेश्वर द्वारा संसद में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि सरकार को अब भी न सिर्फ बीएसएनएल के पुनर्जीवन की आशा है बल्कि वह स्वदेशी 4G ओर 5G तकनीक भी अपनाने के साथ फिर से बाजार में चुनौती दे सकती है। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत बीएसएनएल में केवल स्वदेशी तकनीक के जरिए ही विश्व स्तरीय 4जी और 5G सेवाएं दी जाएंगी।

अश्विनी वैष्णव ने यह भी कहा कि बीएसएनएल का अधिकतर घाटा कर्मचारियों की बड़ी सैलरी, कर्ज का दबाव और कुछ इलाकों को छोड़कर अधिकतर देश में 4G सेवाओं की कमी और निजी मोबाइल सेवा प्रदाताओं से मिल रही प्रतिस्पर्धा के कारण है। हालांकि साथ ही उन्होंने इस बात का भी दावा किया कि सरकार द्वारा कर्मचारियों को वीआरएस देने, कर्ज की रिस्ट्रक्चरिंग, बॉन्ड जारी करने, 4जी सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम आवंटन और कोर और नॉन को संपत्तियों को बेचकर पैसा जुटाने की वजह से पिछले वर्ष बीएसएनएल का चालू बजट घाटे का नहीं रह गया है।

गौरतलब है कि बीते जुलाई में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा 1.64 लाख करोड़ रुपये का पैकेज जारी करते समय केंद्रीय संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने घोषणा की थी इसमें सिर्फ 43,964 करोड़ रुपये का ही कैश है, जबकि 1.2 लाख करोड़ रुपये का नॉन कैश हिस्सा इसे अगले चार वर्षों के दौरान मिलेगा।

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