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महाकुम्भ : भगदड़ के बाद सीएम योगी एक्शन में, मेला क्षेत्र में 5 और IAS-PCS भेजे गए, संगम नोज पर नई तैनाती

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लखनऊ/महाकुम्भ नगर, 30 जनवरी। मौनी अमावस्या के अवसर पर मची भगदड़ के बाद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार एक्शन में हैं। इस क्रम में उन्होंने गुरुवार को महाकुम्भ की व्यवस्था को और बेहतर करने के लिए मेला क्षेत्र में एक आईएएस के साथ ही चार पीसीएस अधिकारियों की तैनाती कर दी। ये अधिकारी 15 फरवरी तक प्रयागराज में उपस्थित रहकर व्यवस्थाओं को और बेहतर बनाने में सहयोग देंगे।

इससे पहले बुधवार को प्रयागराज में बतौर मंडलायुक्त सेवा दे चुके आशीष गोयल और एडीए के वीसी रहे भानु गोस्वामी की तैनाती की गई। दोनों प्रयागराज पहुंच भी गए हैं। इसके अलावा विशेष सचिव स्तर के पांच अधिकारियों को भी भेजा गया है। जिस संगम नोज पर हादसा हुआ था, वहां पर भी नए मजिस्ट्रेट समेत अन्य अफसरों की तैनाती कर दी गई है।

आईएएस अधिकारी खाद्य एवं रसद विभाग के विशेष सचिव अतुल सिंह और पीसीएस अधिकारियों में युवा कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक अशोक कुमार, कानपुर के अपर जिलाधिकारी (नागरिक आपूर्ति) आशुतोष कुमार दुबे, हरदोई के अपर जिलाधिकारी (न्यायिक) प्रफुल्ल कुमार त्रिपाठी व बस्ती के अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) प्रतिपाल चौहान को लगाया गया है।

3 सदस्यीय न्यायिक समिति आज शुरू कर सकती है जांच

उल्लेखनीय है कि बुधवार (29 जनवरी) को मौनी अमावस्या पर संगम नोज पर हुई भगदड़ में 30 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी जबकि 60 से अधिक घायल हैं। सीएम योगी ने मामले की न्यायिक जांच का कल ही आदेश देते हुए तीन सदस्यीय कमेटी भी गठित कर दी है। यह कमेटी शुक्रवार को प्रयागराज में जांच शुरू कर सकती है।

उल्लेखनीय है कि मेला क्षेत्र को 25 सेक्टरों में विभाजित कर पुलिस और प्रशासनिक अफसरों की तैनाती की गई है। संगम नोज जिस सेक्टर में है, उसमें बतौर सेक्टर मजिस्ट्रेट विनय कुमार को तैनात किया गया है। इस सेक्टर में दो सीओ हैं, सीओ संगम घाट प्रथम भास्कर कुमार और द्वितीय विशाल चौधरी तैनात किए गए हैं। संगम थाना का प्रभार नागेंद्र कुमार नागर के पास है जबकि संगम चौकी पर बतौर प्रभारी एसआई सुनील कुमार तैनात हैं।

जवाबदेह अफसरों ने मैदान छोड़ा, पुलिस भी कम

इस बीच जानकारी मिली है कि मंगलवार मध्यरात्रि बाद जब संगम नोज पर भीड़ का दबाव बढ़ने लगा तो कमिश्नर विजय विश्वास पंत श्रद्धालुओं से स्नान कर आगे बढ़ने की अपील करने लगे, लेकिन लोग रात 12 बजे के बाद ही स्नान करने पर अड़े थे, लिहाजा कमिश्नर की अपील अनसुनी रह गई।

प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि जिस वक्त घटना हुई, उस वक्त पुलिस वाले कम थे। सेंट्रल फोर्स के जवान जरूर दिखे। जब श्रद्धालुओं का रेला आया और दबाव बढ़ने लगा तो इन जवानों ने उन्हें नियंत्रित करने की कोशिश की, लेकिन इनकी संख्या इतनी कम थी कि वो चाहकर भी कुछ नहीं कर सके। सेंट्रल फोर्स के एक अफसर श्रद्धालुओं के बीच में दब गए थे, जिन्हें उनके जवानों ने निकाला, फिर ये लोग भी किनारे हो गए। हादसे की अगली सुबह प्रशासन और पुलिस के दो आला अफसरों के बीच तू-तू मैं-मैं होने की भी चर्चा जोरों पर है।

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