वाराणसी, 9 दिसम्बर। गंगा निर्मलीकरण के लिए तमाम तरह की उपाय किए जा रहे हैं। इसी क्रम में वाराणसी में गंगा में फेंके जाने वाले माला-फूल और पूजन सामग्री के अलावा अन्य दूसरे कचरे को साफ करने के लिए अब आर्टिफिशल इंटेलिजेंस युक्त मानवरहित नाव ‘क्लियर बोट’ का इस्तेमाल किया जाएगा। आर्टिफिशल इंटेलिजेंस तकनीक के जरिए बोट में लगे कैमरे गंदगी को ट्रेस कर उसकी सफाई कर देंगे।
केरल के बाद बनारस में क्लियर बोट का सफल ट्रायल
केरल के बाद बनारस दूसरा शहर है, जहां इस नाव का सफल ट्रायल किया गया है। हांगकांग की तकनीक पर आधारित क्लियर बोट को देश के दो इंजीनियरों ने स्टार्टअप के तहत तैयार किया है। इंटरनेट प्रोटोकॉल तकनीक से लैस और बैटरी से चलने वाली नाव का संचालन सैकड़ों किलोमीटर दूर से भी किया जा सकता है।
नाव में लगे कैमरे आधा किलोमीटर की दूरी तक गंगा गंदगी ट्रेस कर उसकी सफाई करेंगे
आर्टिफिशल इंटेलिजेंस तकनीक के माध्यम से डेटा फीड कर दिए जाने से इस नाव में लगे कैमरे आधा किलोमीटर की दूरी तक गंगा में तैरते निर्माल्य, प्लास्टिक उत्पाद, थैले आदि को ट्रेस करने के साथ ही उसे साफ करने का संकेत देते हैं। इसके बाद नाव में लगे उपकरण गंदगी को खींच लेते हैं।
नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एनपी सिंह ने बताया कि इस अत्याधुनिक नाव से गंगा के साथ ही शहर के कुंड-जलाशयों की भी आसानी से सफाई हो सकती है। उन्होंने बताया कि क्लियर बोट का इस्तेमाल किस तरह होना है, इस संबंध में जल्द ही अधिकारियों के साथ बैठक कर निर्णय लिया जाएगा।