नई दिल्ली, 4 दिसम्बर। भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत ने वर्ष 2009 में महिला पर हुए एसिड अटैक मामले में गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान नाराजगी जताई और कहा कि यह तो सिस्टम का मजाक है। सीजेई यह सुनकर हैरान रह गए, जब उन्हें बताया गया कि 2009 के एसिड अटैक केस का ट्रायल पेंडिंग है।
जब याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि 16 वर्ष पहले 2009 में उस पर एसिड से हमला हुआ था और अब तक मामले का ट्रायल चल रहा है तो इस पर सीजेआई सूर्यकांत ने कहा कि अगर राष्ट्रीय राजधानी ऐसे हालात को हैंडल नहीं कर सकती है तो फिर कौन संभालेगा? यह तो शर्म की बात है। यह सिस्टम का मजाक है।
सुप्रीम कोर्ट ने इसी क्रम में सभी हाई कोर्ट से एसिड अटैक केस में पेंडिंग ट्रायल के बारे में डेटा मांगा। सीजेआई सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने सभी हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को पेंडिंग एसिड अटैक केस के बारे में डेटा जमा करने का निर्देश दिया है।
वेबसाइट ‘लाइव लॉ’ के अनुसार, मामले की याचिकाकर्ता ने कोर्ट में कहा, ‘मेरे ऊपर 2009 में एसिड अटैक हुआ था, अब तक ट्रायल चल रहा है। 2013 तक केस में कुछ नहीं हुआ और ट्रायल, जो अब दिल्ली के रोहिणी में हो रहा है, अब आखिरी सुनवाई के स्टेज में है।’ सीजेआई सूर्यकांत ने कहा, ‘यह जुर्म 2009 का है और ट्रायल अब तक पूरा नहीं हुआ। अगर नेशनल कैपिटल ऐसी चुनौतियों को हैंडल नहीं कर पाएगी तो कौन करेगा? यह सिस्टम के लिए शर्म की बात है।’
याचिकाकर्ता ने बताया कि वह अपना केस लड़ने के साथ-साथ दूसरे एसिड अटैक सर्वाइवर्स की मदद के लिए भी काम कर रही हैं। सीजेआई ने याचिकाकर्ता से ट्रायल में तेजी लाने के लिए एक एप्लीकेशन फाइल करने के लिए कहा। साथ ही कहा कि इस मामले का ट्रायल रोज होना चाहिए।
बेंच ने सभी हाई कोर्ट की रजिस्ट्री से चार हफ्ते के अंदर डिटेल मांगी। सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ता ने उन पीड़ितों की बुरी हालत पर रोशनी डाली, जिन्हें एसिड पीने के लिए मजबूर किया जाता है, अक्सर आर्टिफिशियल फीडिंग ट्यूब और गंभीर विकलांगता के सहारे जिंदा रहते हैं। बेंच ने उनकी इस अर्जी पर भी केंद्र से जवाब मांगा कि एसिड अटैक सर्वाइवर्स को दिव्यांगों की कैटेगरी में रखा जाए ताकि वेलफेयर स्कीम्स तक उनकी पहुंच पक्की हो सके।

