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CJI संजीव खन्ना ने जस्टिस मनमोहन को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में दिलाई शपथ 

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नई दिल्ली, 5 दिसम्बर। भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना ने आज दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मनमोहन को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई। न्यायमूर्ति मनमोहन के शपथ ग्रहण के साथ ही शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों की संख्या बढ़कर 33 हो गई है, जिसमें प्रधान न्यायाधीश भी शामिल हैं। उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या 34 है।

शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों की संख्या बढ़कर 33 पहुंची

सर्वोच्च न्यायालय में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह के दौरान न्यायमूर्ति मनमोहन (61) को पद की शपथ दिलाई गई। उच्चतम न्यायालय के ‘कोलेजियम’ ने 28 नवम्बर को न्यायमूर्ति मनमोहन को शीर्ष न्यायालय में पदोन्नत करने की सिफारिश की थी। न्यायमूर्ति मनमोहन को तीन दिसम्बर को शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया।

आधिकारिक अधिसूचना में कहा गया है, ‘‘भारत के संविधान के अनुच्छेद 124 के खंड (2) में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, राष्ट्रपति दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनमोहन को भारत के सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त करते हैं।’’

न्यायमूर्ति मनमोहन उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की संयुक्त अखिल भारतीय वरिष्ठता में दूसरे क्रम पर थे और वे दिल्ली उच्च न्यायालय में सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश थे। उनके नाम की सिफारिश करते समय सर्वोच्च न्यायालय के कोलेजियम ने अपने बयान में कहा, ‘‘उनके नाम की सिफारिश करते समय कोलेजियम ने इस तथ्य को ध्यान में रखा है कि वर्तमान में सर्वोच्च न्यायालय की पीठ में दिल्ली उच्च न्यायालय के केवल एक न्यायाधीश का प्रतिनिधित्व है।’’

न्यायमूर्ति मनमोहन को 13 मार्च 2008 को दिल्ली उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था और वह 29 सितंबर, 2024 से इसके मुख्य न्यायाधीश पद पर कार्यरत थे। उन्हें नौ नवंबर 2023 को दिल्ली उच्च न्यायालय का कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। उन्होंने 1987 में कैम्पस लॉ सेंटर, दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री प्राप्त करने के बाद वकील के रूप में पंजीकरण कराया।

न्यायमूर्ति मनमोहन दिवंगत जगमोहन के पुत्र हैं, जो एक नौकरशाह से राजनेता बने थे। जगमोहन ने तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य के राज्यपाल और दिल्ली के उप राज्यपाल के रूप में भी कार्य किया था। उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष है, जबकि उच्च न्यायालय के न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होते हैं।

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