नई दिल्ली, 15 सितम्बर। भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को कहा कि न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया और अधिक पारदर्शी हो जाएगी। इस क्रम में उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए वस्तुनिष्ठ मानदंड निर्धारित किए जाएंगे।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि सेंटर फॉर प्लानिंग एंड रिसर्च ने देश के उन शीर्ष न्यायाधीशों का आकलन करने के लिए एक व्यापक मंच पर काम करना शुरू कर दिया है, जो नियुक्तियों के लिए पात्र हैं। उन्होंने कहा कि मूल्यांकन न्यायाधीशों पर उपलब्ध आंकड़ों और उनके द्वारा दिए गए निर्णयों के आधार पर किया जाएगा।
नियुक्तियों के लिए वस्तुनिष्ठ मानदंडों के साथ एक डोजियर तैयार किया जाएगा
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि उच्च न्यायालयों और सुप्रीम कोर्ट में नियुक्तियों के लिए वस्तुनिष्ठ मानदंडों के साथ एक डोजियर तैयार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत में नियुक्ति के लिए देश के शीर्ष 50 न्यायाधीशों का मूल्यांकन किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की यदाकदा आलोचना की जाती रही है
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को ‘बंद-दरवाजा प्रणाली’ होने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा है, जहां न्यायाधीश न्यायाधीशों की नियुक्ति करते हैं। तीन दशक पुरानी कॉलेजियम प्रणाली की पर्याप्त पारदर्शी और जवाबदेह नहीं होने के कारण आलोचना की जाती रही है।
पूर्व अटॉर्नी जनरल और वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि कॉलेजियम प्रणाली में सुधार की मांग उठ रही है और कहा जा रहा है कि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रणाली में तालमेल नहीं है। सीजेआई चंद्रचूड़ ने भी पहले कहा था कि लोकतंत्र में कोई भी संस्था सौ फीसदी परिपूर्ण नहीं होती है। उन्होंने कहा कि कॉलेजियम प्रणाली के लिए समाधान ‘मौजूदा प्रणाली के भीतर अपने तरीके से काम करना’ है।