नई दिल्ली, 20 अप्रैल। भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) डी. वाई. चंद्रचूड़ ने मोदी सरकार के तीन नए कानूनों की प्रशंसा की है और इन नए आपराधिक न्याय कानूनों के लागू होने को समाज के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण बताया है।
विधि एवं न्याय मंत्रालय की तरफ से ‘आपराधिक न्याय प्रणाली के प्रशासन में भारत का प्रगतिशील पथ’ विषय पर आयोजित एक सम्मेलन में सीजेआई चंद्रचूड़ ने अपने संबोधन के दौरान आईपीसी, सीआरपीसी और साक्ष्य अधिनियम (एविडेंस एक्ट) को नए कानूनों से बदलने की खूब तारीफ की और कहा कि भारत अपनी आपराधिक न्याय प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि नए कानून तभी सफल होंगे, जब जिन लोगों पर इन्हें लागू करने का जिम्मा है, वे इन्हें अपनाएंगे।
कानूनी ढांचे को एक नए युग में बदला गया
CJI ने कहा कि इन नए कानूनों ने आपराधिक न्याय पर भारत के कानूनी ढांचे को एक नए युग में बदल दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि पीड़ितों के हितों की रक्षा करने और अपराधों की जांच और अभियोजन को कुशलतापूर्वक चलाने के लिए बहुत जरूरी सुधार पेश किए गए हैं।
1 जुलाई से लागू होंने तीनों नए आपराधिक कानून
गौरतलब है कि देश की आपराधिक न्याय प्रणाली को पूरी तरह से बदलने के लिए नए कानून – भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम एक जुलाई से लागू होंगे।
हालांकि, वाहन चालकों द्वारा हिट-एंड-रन के मामलों से संबंधित प्रावधान तुरंत लागू नहीं किया जाएगा। तीनों कानूनों को पिछले वर्ष 21 दिसम्बर को संसद की मंजूरी मिल गई और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 25 दिसम्बर को अपनी सहमति दे दी थी।
सीजेआई ने कहा कि तलाशी और जब्ती की ऑडियो-विजुअल रिकॉर्डिंग अभियोजन के साथ-साथ नागरिकों की नागरिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है। न्यायिक जांच तलाशी और जब्ती के दौरान प्रक्रियात्मक अनौचित्य के खिलाफ नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करेगी।