नई दिल्ली, 20 जुलाई। संसद के मॉनसून सत्र के पहले दिन गुरुवार को राज्यसभा की कार्यवाही शुक्रवार तक के लिए स्थगित किए जाने से पहले सरकार ने सिनेमेटोग्राफी विधेयक 2023 पेश किया, जिसमें फिल्मों का आयुवर्ग के हिसाब से वर्गीकरण का प्रस्ताव है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने दोपहर दो बजे के बाद उच्च सदन की बैठक फिर शुरू होने पर पहले सिनेमेटोग्राफी विधेयक 2019 को वापस लेने का प्रस्ताव रखा, जिसे सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। उन्होंने इसके बाद सभापति जगदीप धनखड़ की अनुमति से सिनेमेटोग्राफी विधेयक 2023 सदन में पेश किया।
केंद्रीय मंत्रिमंडल की बुधवार को हुई बैठक में इस विधेयक को मॉनसून सत्र में पेश करने की अनुमति दी गई थी। इस विधेयक में ‘पायरेसी’ के जरिए फिल्मों को इंटरनेट पर प्रसारित किए जाने से रोकने का प्रावधान किया गया है। विधेयक में फिल्मों का वर्तमान ‘यू’, ‘ए’ और ‘यूए’ की व्यवस्था की बजाय आयु वर्ग के हिसाब से वर्गीकरण करने का प्रावधान किया गया है।
अब तक जो व्यवस्था लागू है उसमें फिल्मों का ‘यू’ प्रमाणपत्र के तहत बिना रोक के सार्वजनिक प्रदर्शन करने की अनुमति होती है। ‘ए’ प्रमाणन वयस्क आयु वर्ग के दर्शकों के लिए, ‘यूए’ प्रमाणन अभिभावकों की निगरानी में 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए तथा ‘एस’ प्रमाणन चिकित्सकों, वैज्ञानिकों जैसे विशेष श्रेणी के दर्शकों के लिए है।