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कोरोना विवाद में चीन का पलटवार – अमेरिका पहले अपनी बायो लैब को जांच के लिए खोले

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नई दिल्ली, 27 मई। कोरोना संक्रमण की उत्पत्ति आखिर कहां से हुई? इसे लेकर जारी विवाद अमेरिकी सरकार की हालिया सक्रियता के चलते फिर गहराता जा रहा है। इसी क्रम में खुद पर लग रहे सवालिया निशानों से विचलित चीन ने अमेरिका पर पलटवार करते हुए कहा है कि पहले वह अपनी बायो लैब को जांच के लिए खोले।

दरअसल, कुछ दिनों पहले एक अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि चीन की वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी से ही कोरोना वायरस की उत्पत्ति की आशंका को दरकिनार नहीं किया जा सकता क्योंकि वायरस के फैलने से लगभग एक माह पहले नवम्बर, 2019 में लैब के तीन शोधकर्ताओं की तबीयत खराब हुई थी और उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था।

इस खुलासे के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने जानलेवा वायरस की उत्पत्ति के बारे में पता लगाने के लिए अपने खुफिया अधिकारियों को आदेश दिए हैं। बाइडन ने बुधवार को अमेरिकी खुफिया एजेंसियों से कहा कि वे महामारी की उत्पत्ति की जांच के अपने प्रयासों को दोगुना करें और 90 दिनों के अंदर रिपोर्ट दें।

फिलहाल वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी को फिर से जांच के लिए खोलने के अमेरिकी आग्रह पर चीन ने नाराजगी जाहिर की है और अमेरिका पर अपने खिलाफ साजिश व दुष्प्रचार करने का आरोप लगाया है। चीन ने मांग की है कि वुहान से पहले अमेरिका को अपनी बायो लैब को जांच के लिए खोलना चाहिए।

गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का चीनी मिशन पहले ही जांच कर चुका है, लेकिन अब तक रिपोर्ट सामने नहीं आई है। अब अमेरिका की तरफ से कोविड-19 की उत्पत्ति की फिर से जांच के लिए दबाव बढ़ रहा है। हालांकि वुहान लैब की जांच में देरी को लेकर चीन शुरू से ही सवालों के घेरे में है।

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी से वायरस फैलने की रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा कि प्रयोगशाला से वायरस लीक होने की थ्योरी को बार-बार हवा में उछालने के पीछे अमेरिका का असल मकसद क्या है? वह इस वायरस की जड़ का पता लगाने को लेकर गंभीर है या फिर ध्यान बंटाने की कोशिश कर रहा है?

ज्ञातव्य है कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी कोरोना वायरस फैलने के लिए चीन को लगातार जिम्मेदार बताते रहे. अब बाइडन प्रशासन ने 90 दिनों के भीतर कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर खुफिया अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है। इस पर झाओ लिजियन ने कहा कि यह डब्ल्यूएचओ की जांच का अपमान है। उन्होंने कहा कि अमेरिका के इस रुख से इस महामारी से निबटने के लिए वैश्विक एकजुटता कमजोर होगी।

लिजियन ने कहा कि इसी वर्ष जनवरी में चीन और डब्ल्यूएचओ की संयुक्त टीम ने कई संस्थानों का दौरा किया था, जिनमें वुहान सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल और वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ वायरलॉजी भी शामिल थे। उन्होंने कहा, ‘यदि अमेरिका वास्तव में पूरी पारदर्शिता चाहता है, तो उसे चीन की तरह, डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञों को अमेरिका आने और जांच करने के लिए आमंत्रित करना चाहिए।’

उन्होंने मैरीलैंड में एक अमेरिकी शोध केंद्र का जिक्र करते हुए कहा, ‘जितनी जल्दी हो सके, फोर्ट डेट्रिक सैन्य अड्डे को खोलें। दुनियाभर में सबसे ज्यादा अमेरिका के पास जैव प्रयोगशालाएं हैं।’

 

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