चीन की दोगली चाल और दोहरा चरित्र पार्ट-1
विस्तारवादी चीन को वर्ष 1949 मे आजादी मिली थी। आजादी के बाद चीन ने शिनजियांग, तिब्बत और इनर मंगोलिया में कब्जा जमाने के लिए य़ोजनाबद्ध तरीके चीनीकरण किया है। पहले हान चीनी प्रजा को कई सुविधा देकर वहां शिफ्ट किया था। उसके बाद वहां के स्थानीय उइगर मुस्लिमों और बुद्धिस्टों पर अत्याचार का सिलसिला शुरु किया। इतना हीं नहीं इन तीनों प्रांतों की प्राकृतिक सम्पत्तियों की भी प्रयोग कर चीन का विकास किया गया है। चीन ने यहां के लोगों की पहचान मिटाने का भरपूर प्रयास किया है। आज शिनजियांग प्रांत में 44 % उइगर मुस्लिमों की आबादी के सामने 40 % हान चीनी आबादी है। इतना हीं नहीं सभी प्राकृतिक सम्पति पर भी चीन ने हक जमा लिया है।
देश की जानीमानी शैक्षणिक संस्था जेएनयू के सीनियर फैकेल्टी डॉ. महेश रंजन देबाता ने चीन का पांच बार दौरा किया है। इतना ही नहीं उन्होंने काफी अध्ययन भी किया है। उन्होंने रिवोइ (रियल वोइस ऑफ इंडिया) से चीन के बारे में जानकारियां साझा करते हुए कहा कि चीन में 55 माइनोरिटी ग्रुप हैं। उनमें से तीन माइनोरिटी ग्रुप उइगर मुस्लिम, तिब्बती(बुद्धिस्ट) और इनर मंगोलिया अलग-अलग फ्रीडम मूवमेंट की मांग कर रहे हैं।
1949 में चीन आजाद हुआ, उस के पहले का पुराना इतिहास है। तिब्बत अलग स्टेट था। इनर मंगोलिया मंगोलिया के साथ था। ऐसे ही ईस्ट तुर्किस्तान अलग देश था। ये तीनों रीजनल चीन के लीए काफी अहम हैं। जैसे कि शिनजियांग की सीमा आठ देशों के साथ जुडी है, जिसमें रूस, भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान भी शामिल हैं। रूस, भारत और पाकिस्तान के पास न्यूक्लियर ताकत है। इन प्रदेशों में आंतरिक समस्या खडी ना हो, इसलिए यहां के लोगों पर सख्ती की गई।
चीन 1949 से पहले दो बार अलग रिपब्लिक बना था। 1933 में 83 दिन के लिए और 1942 से 1949 तक इस्लामिक रिपल्बिक बनाया गया था। 1949 में माओ सरकार आई तो उसने पहां स्टेबलाइज करने के पहले कन्ट्रोल किया। यहां उइगर मुस्लिम की आबादी 88 % थी औग हान चीनी की 12 % आबादी थी। चीन के शासकों ने पहले यहां हान चीनियों की आबादी बढाने का काम किया। हान चीनिओ को शिनजियांग शिफ्ट किया गया था और ऐसे चीन ने यहां अपना कन्ट्रोल हासिल किया था।
1959 में दलाई लामा भारत आ गए थे। दलाई लामा के भारत आने के बाद उनको डर लगा कि भारत उनके मुद्दे पर चीन के सामने बड़ी समस्या खडी कर सकता है। अमेरिका भी उस समय पावरफुल देश बन चुका था। अमेरिका भी तिब्बतियों और उइगर का मुद्दा उठा सकता है, जिसके चलते चीन ने एक लॉजिक दुनिया को दिया। ऐसे भी चीन लॉजिक देने में माहिर है। उसने कहा कि यह हमारा आंतरिक मामला है। ये प्रांत हमारे अभिन्न अंग हैं, और उन्हें बचाने के लिए हम कुछ भी कर सकते हैं।
चाइना ने लघुमती को कंट्रोल करने के लिए पॉलिसी बनाई थी। चीन ने 1954-55 मे “गो वेस्ट यंगहान” नाम से पॉलिसी बनाई थी। इतना ही नहीं वहां जाने वाले लोगों को काफी लालच भी दिया था। वहां जाने वालों को नौकरी, घर, शहरी विस्तार में रहने वाले परिवार को दो बच्चे और ग्रामीण इलाकों मे रहने वालों को ती बच्चे पैदा करने की अनुमति दी थी।
चीन में निजी संपत्ति का कोई कॉन्सेप्ट नहीं है ओर मुख्य चाइना में एक बच्चे की पॉलिसी है, किन्तु हान चाइनीज लोगों को वहां भेजने के लिए यह तरकीब का यूज किया, जिसके चलते बहुत सारे यंगहान चीनी वहां गए ओर तीनों प्रांतों का चीनीकरण करके वहां नियंत्रण कर लिया। इतना ही नहीं तिब्बती और उइगर सहित लघुमती समाज की संस्कृतिक पहचान मिटाकर सिर्फ एक ही पहचान दी कि वे चाइनीज नागरिक हैं। ऐसे ही चाइनीज शासकों ने वहां पहचान से शुरू से किया था और इसी तरह से पॉलिसी बनाई थी।
चीन ने 1956 से डेवलपमेंट की तैयारी शरू की थी, जो जिस स्टेज मे है, वह ऊपर कैसे जाएगा, उसके बाद कल्चर रिवोल्युशन पीरियड भी आया। इसी दरमियान 1959 में दलाई लामा भारत आ गए थे, जिसके चलते उनको भारत, अमेरिका और रूस का डर सताने लगा था। उइगर और तिब्बतियों को कंट्रोल में करने के लिए पॉलिसी बनाई और सारे धार्मिक स्थल तोड दिए। बहुत सारे लोगों को मार दिया, शिनजियांग प्रांत मे लगभग दो मिलियन लोगों को मार दिया गया था। इतना हीं नहीं चार से पांच मिलियन लोग वहां से चले गए। आज के दिन वहां पर 44 % उइगर मुस्लिम और 40 % हान चीनी नागरिक हैं। इस प्रकार चीन ने जनसंख्या नियंत्रण करके वहां पर पूरी तरह अपना हक जमा लिया था।