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प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने देश में राजनीतिक दलों के बीच बढ़ती वैमनस्यता पर जताई चिंता

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जयपुर, 16 जुलाई। देश के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई)  जस्टिस एनवी रमना ने राजनीतिक दलों के बीच पैदा हो रही विद्वेष की भावना पर चिंता जताई है। वह शनिवार को कॉमनवेल्थ पार्लियामेंट्री एसोसिएशन द्वारा राजस्थान विधानसभा में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

राजनीतिक विरोध का दुश्मनी में तब्दील होना लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं

सीजेआई रमना ने कहा कि आजकल राजनीतिक विरोध दुश्मनी में तब्दील होती जा रही है और लोकतंत्र के लिए ये अच्छे संकेत नहीं हैं। पहले सरकार और विपक्ष के बीच आपसी सम्मान हुआ करता था, जो अब कम हो रहा है।’

जस्टिस रमना ने कहा, ‘राजनीतिक विरोध को दुश्मनी में नहीं बदलना चाहिए, जिसे हम इन दिनों दुखद रूप से देख रहे हैं। ये स्वस्थ लोकतंत्र के संकेत नहीं हैं। पहले सरकार और विपक्ष के बीच आपसी सम्मान हुआ करता था, लेकिन दुर्भाग्य से विरोध की जगह सिकुड़ती जा रही है।’

विधायिका के कामकाज की गुणवत्ता को लेकर भी चिंतित

प्रधान न्यायाधीश ने विधायिका के कामकाज की गुणवत्ता पर भी चिंता जताते हुए कहा, ‘दुख की बात है कि देश विधायिका के प्रदर्शन की गुणवत्ता में गिरावट देख रहा है। कानूनों को विस्तृत विचार-विमर्श और स्क्रूटनी के बिना पारित किया जा रहा है।

उन्होंने कहा, ‘वर्तमान हालत में भारत में लोकतंत्र पसंद की बात नहीं है बल्कि एक आवश्यकता है। भारत का लोकतंत्र अभी प्रारंभिक अवस्था में है। हम अभी भी मंथन के माध्यम से सीखने के चरण में हैं।

देश में क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम की क्षमता को चुस्त-दुरुस्त करने की जरूरत

सीजेआई रमना ने जयपुर में ही 18वें अखिल भारतीय कानूनी सेवा प्राधिकरण के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए विचाराधीन कैदियों की दशा-दिशा पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि देश के 6.10 लाख कैदियों में से, लगभग 80 प्रतिशत विचाराधीन हैं। उन्होंने कहा कि देश में क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम की क्षमता को चुस्त-दुरुस्त करने की जरूरत है। बिना किसी मुकदमे के बड़ी संख्या में लोगों को लंबे समय तक कैद में रखने पर ध्यान देने की जरूरत है।

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