नई दिल्ली, 8 जून। मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) सुशील चंद्रा ने कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि चुनावी हलफनामे में गलत जानकारी देने के लिए दो वर्ष की जेल के प्रावधान सहित कई चुनाव सुधारों से संबंधित प्रस्तावों पर तेज गति से कदम उठाए जाएं।
चुनावी हलफनामे में गलत जानकारी देने वाले को दो वर्ष की जेल का प्रावधान
सुशील चंद्रा ने मंगलवार को बताया, ‘मैंने कानून मंत्री को पत्र लिख कर आग्रह किया है कि इन प्रस्तावों पर तेज गति से कदम उठाए जाएं और आशा करता हूं कि इन पर मंत्रालय की ओर से जल्द विचार किया जाएगा।’
दरअसल, निर्वाचन आयोग ने जिन चुनावों सुधारों के प्रस्ताव दिए हैं, उनमें एक मुख्य प्रस्ताव चुनावी हलफनामे में गलत जानकारी देने पर छह महीने जेल की सजा को बढ़ाकर दो साल करने के प्रावधान से संबंधित है। दो वर्ष की सजा होने पर संबंधित उम्मीदवार के चुनाव लड़ने पर छह वर्ष तक की रोक लग जाएगी।
‘पेड न्यूज’ को जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत अपराध बनाया जाए
चंद्रा ने बताया कि मौजूदा समय में छह महीने की जेल का प्रावधान है, जिससे किसी को अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता। आयोग ने यह प्रस्ताव भी दिया है कि ‘पेड न्यूज’ को जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत अपराध बनाया जाए और इसके लिए ठोस प्रतिरोध के प्रावधान किए जाए।
‘साइलेंट पीरियड’ के दौरान अखबारों में राजनीतिक विज्ञापनों पर रोक लगे
सीईसी के अनुसार आयोग ने चुनाव प्रचार खत्म होने और मतदान के दिन के बीच वाले समय ‘साइलेंट पीरियड’ के दौरान अखबारों में राजनीतिक विज्ञापनों पर रोक लगाने का भी प्रस्ताव दिया है ताकि मतदाता प्रभावित न हो और खुले मन से अपने मताधिकार का उपयोग करे।
इस कदम के लिए जन प्रतिनिधित्व कानून में संशोधन की जरूरत होगी। मतदान से 48 घंटे पहले प्रचार के संदर्भ में कानूनों के बदलावों के लिए प्रस्ताव देने के मकसद से गठित समिति ने सिफारिश की थी कि मतदान वाले दिन अखबारों में विज्ञापन दिए जाने पर रोक लगाई जाए। फिलहाल मतदान संपन्न होने से पहले 48 घंटों के दौरान प्रचार सामग्री दिखाने पर इलेक्ट्रानिक मीडिया को प्रतिबंधित किया गया है। लेकिन समिति ने सिफारिश की है कि अखबारों को भी इस रोक के दायरे में लाया जाए।
मतदाता सूची को आधार से जोड़ने का भी प्रस्ताव
चंद्रा ने कहा कि एक और प्रस्ताव मतदाता सूची को आधार से जोड़ने का है ताकि एक से अधिक स्थान पर मतदाता सूचियों में नाम पर रोक लग सके। गौरतलब है कि कानून मंत्री प्रसाद ने लोकसभा के बीते सत्र में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा था कि चुनाव आयोग का प्रस्ताव सरकार के विचाराधीन है और इसके लिए चुनाव कानूनों में संशोधन करना होगा।