Site icon hindi.revoi.in

चंपई सोरेन 30 अगस्त को भाजपा में शामिल होंगे, असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने दी जानकारी

Social Share

नई दिल्ली, 26 अगस्त। झारखंड में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के कद्दावर नेताओं में शुमार व पूर्व सीएम चंपई सोरेन 30 अगस्त को रांची में आधिकारिक तौर पर भारतीय जनता पार्टी में शामिल होंगे।

दिल्ली में अमित शाह सहित भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात

असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने सोमवार को देर रात अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट पर एक पोस्ट के जरिए इस आशय की जानकारी दी। हिमंत बिस्वा सरमा ने अपनी पोस्ट में बताया कि चंपई सोरेन ने आज देर रात गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। वह आज ही नई दिल्ली पहुंचे और भाजपा के अन्य वरिष्ठ नेताओं से भी मुलाकात की।

 

पिछले मंगलवार के बाद से यह उनकी दूसरी दिल्ली यात्रा थी। अपनी पिछली दिल्ली यात्रा के दौरान उन्होंने पार्टी नेतृत्व पर गंभीर आरोप लगाए थे। साथ ही नया विकल्प भी तलाशने की बात कही थी। बाद में ये चर्चाएं भी हुईं कि वह नई पार्टी भी बना सकते हैं।

दिल्ली की दो यात्राओं के बीच पूर्व सीएम चंपई सोरेन विधानसभा चुनाव से पहले झारखंड के कोल्हन क्षेत्र में अपने समर्थकों से मिले। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से रणनीति पर चर्चा भी की। इसके बाद पत्रकारों से बात करते हुए चंपई सोरेन ने इस ओर इशारा किया था कि वह एक नई पार्टी बनाएंगे।

हालांकि, उन्होंने अब तक झामुमो या हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार में अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया। कुछ ऐसी अटकलें भी लगाई गई थीं कि झामुमो से नाराज 68 वर्षीय चंपई सोरेन अपने कुछ कार्यकर्ताओं के साथ पार्टी के बाहर अवसर तलाश रहे हैं। अब इन सबसे पर्दा उठ चुका है।

गौरतलब है कि मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद चंपई सोरेन को झारखंड का सीएम बनाया गया था। उन्होंने फरवरी से जुलाई तक सीएम के पद पर कार्य किया। वह 2005 से प्रत्येक चुनाव में विधानसभा के लिए चुने गए हैं। झारखंड में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाला है।

झामुमो के लिए बड़ा झटका

वस्तुतः चंपई सोरेन झामुमो के संस्थापक शिबु सोरेन के परिवार के सबसे करीबियों में से एक रहे हैं। इसका अंदाजा इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि भ्रष्टाचार के मामले में जेल जाने से पहले सीएम हेमंत सोरेन ने सीएम पद की जिम्मेदारी चंपई को दी। बताते हैं कि हेमंत के जेल से बाहर आने के बाद जिस प्रकार उन्हें आनन फानन सीएम पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया, उससे वह आहत थे।

भाजपा के लिए लाभ का सौदा

वहीं दूसरी तरफ लोकसभा चुनाव में भाजपा ने झामुमो के हाथों सभी पांच सुरक्षित सीटें गंवा दी थी। आदिवासी बिरादरी की नाराजगी का आलम यह था कि केंद्रीय मंत्री रहे अर्जुन मुंडा भी अपनी सीट नहीं बचा पाए थे। चूंकि चंपई सोरेन परिवार के करीबी और आदिवासी वर्ग के दिग्गज नेता हैं, ऐसे में चंपई की बगावत से झामुमो को नवम्बर-दिसम्बर में होने वाले विधानसभा चुनाव में बड़ा झटका लग सकता है जबकि भाजपा के लिए यह लाभ का सौदा माना जा रहा है।

Exit mobile version