नई दिल्ली, 28 अगस्त। रियल्टी फर्म सुपरटेक लिमिटेड के चेयरमैन आर.के. अरोड़ा ने रविवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद नोएडा स्थित ट्विन टॉवर की दोनों इमारतों को गिराए जाने से कम्पनी को करीब 500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। इस नुकसान में ट्विन टावर के निर्माण पर आई लागत एवं कर्ज पर देय ब्याज भी शामिल है।
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने स्थापित मानकों का उल्लंघन कर इस 100 मीटर ऊंची आवासीय इमारत के निर्माण को गैरकानूनी बताते हुए इसे विस्फोटक का इस्तेमाल कर गिराए जाने का आदेश दिया था। उसी आदेश का पालन करते हुए रविवार अपराह्न 2.30 बजे इस इमारत के दोनों टावर विध्वंसक लगाकर महज कुछ सेकेंड में धराशायी कर दिए गए।
फ्लैट खरीदने वाले ग्राहकों को 12 प्रतिशत की दर से ब्याज भी देना पड़ा
अरोड़ा ने कहा, ‘हमारा कुल नुकसान करीब 500 करोड़ का हुआ है। इसमें इमारत के निर्माण और जमीन की खरीद पर आई लागत के अलावा नोएडा प्राधिकरण को तमाम मंजूरियों के लिए दिए गए शुल्क और बैंकों को कर्ज पर दिया गया ब्याज शामिल है। इसके अलावा हमें इन टावर में फ्लैट खरीदने वाले ग्राहकों को भी 12 प्रतिशत की दर से ब्याज देना पड़ा है।’
ये दोनों टावर नोएडा के सेक्टर 93ए में एक्सप्रेसवे पर स्थित सुपरटेक की एमराल्ड कोर्ट परियोजना का हिस्सा थे। इन टावर में बने 900 से अधिक फ्लैट की मौजूदा बाजार मूल्य के हिसाब से कीमत करीब 700 करोड़ रुपये थी।
टावर को ढहाए जाने के लिए एडिफिस इंजीनियरिंग कम्पनी को 17.5 करोड़ का भुगतान
अरोड़ा ने कहा कि शीर्ष अदालत ने भले ही इन टावर को गिराने का आदेश दिया, लेकिन सुपरटेक ने नोएडा विकास प्राधिकरण की तरफ से स्वीकृत भवन योजना के अनुरूप ही इनका निर्माण किया था। उन्होंने कहा कि इन दोनों टावर को विस्फोटक लगाकर ढहाए जाने के लिए एडिफिस इंजीनियरिंग कम्पनी को सुपरटेक 17.5 करोड़ रुपये का भुगतान कर रही है। एडिफिस ने इसे अंजाम देने का जिम्मा दक्षिण अफ्रीकी फर्म जेट डिमॉलिशंस को सौंपा था।