नई दिल्ली, 18 अगस्त। केंद्र सरकार ने सोमवार को दोहराया कि यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) आधारित डिजिटल भुगतान पर किसी भी प्रकार का लेनदेन शुल्क लगाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। यह बयान डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने और इसे उपयोगकर्ताओं के लिए किफायती बनाए रखने की सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में स्पष्ट किया, ‘भुगतान और निबटान प्रणाली अधिनियम 2007 की धारा 10A के तहत, यूपीआई जैसे इलेक्ट्रॉनिक भुगतान माध्यमों पर कोई भी बैंक या सिस्टम प्रदाता शुल्क नहीं लगाएगा।’
यूपीआई सेवाओं के लिए प्रोत्साहन
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने यूपीआई और रुपे डेबिट कार्ड को आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 269एसयू के तहत शुल्क-मुक्त भुगतान माध्यमों के रूप में अधिसूचित किया है। यूपीआई की निर्बाध उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 से 2024-25 तक प्रोत्साहन योजना लागू की। इस दौरान, इकोसिस्टम पार्टनर्स को लगभग 8,730 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन समर्थन प्रदान किया गया।
यूपीआई लेनदेन में रिकॉर्ड वृद्धि
यूपीआई ने डिजिटल भुगतान में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की है। वित्त वर्ष 2017-18 में 92 करोड़ लेनदेन से शुरू होकर, वित्त वर्ष 2024-25 में यह 18,587 करोड़ तक पहुंच गया, जो 114% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) दर्शाता है। लेनदेन मूल्य भी 1.10 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 261 लाख करोड़ रुपये हो गया। जुलाई 2025 में यूपीआई ने 1,946.79 करोड़ से अधिक लेनदेन के साथ नया कीर्तिमान स्थापित किया।
डिजिटल भुगतान का विस्तार
देश में कुल डिजिटल भुगतान लेनदेन वित्त वर्ष 2017-18 के 2,071 करोड़ से बढ़कर 2024-25 में 22,831 करोड़ हो गए, जो 41% की सीएजीआर को दर्शाता है। इस अवधि में लेनदेन मूल्य 1,962 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 3,509 लाख करोड़ रुपये हो गया।
उल्लेखनीय है कि यूपीआई की शुल्क-मुक्त नीति और सरकार की प्रोत्साहन योजनाओं ने भारत को डिजिटल भुगतान में वैश्विक अग्रणी बनाया है। यह प्रणाली न केवल उपयोगकर्ताओं के लिए सुविधाजनक है, बल्कि देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान कर रही है।

