नई दिल्ली, 4 जून। केंद्र सरकार ने अर्से से लंबित देश की जनगणना और जातिगत गणना की प्रक्रिया तय कर दी है। इस क्रम में दो चरणों वाली जनगणना और जाति आधारित गणना का अस्थायी कार्यक्रम निर्धारित किया गया है। इसके तहत पहाड़ी राज्यों में एक अक्तूबर, 2026 से जनगणना शुरू कराई जाएगी तो अन्य जगहों पर एक मार्च, 2027 से यह प्रक्रिया शुरू होगी। इस महाप्रक्रिया की तैयारियों का खाका खींचा जा चुका है और इसे लागू करने की दिशा में यह एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
हिमालयी और विशेष भौगोलिक परिस्थितियों वाले राज्य जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और उत्तराखंड में यह जनगणना प्रक्रिया अन्य राज्यों से पहले, अक्टूबर 2026 से शुरू कर दी जाएगी। वहां मौसम की कठिनाइयों और दुर्गम क्षेत्रों को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है।
जनगणना अधिनियम, 1948 की धारा 3 के तहत, 1 मार्च 2027 को जनगणना की संदर्भ तिथि घोषित की जाएगी और संबंधित अधिसूचना 16 जून 2025 को राजपत्र में प्रकाशित की जाएगी. इसके बाद जनगणना की आधिकारिक तैयारियां प्रारंभ हो जाएंगी।
कैबिनेट समिति ने दी थी जातिगत गणना को मंजूरी
उल्लेखनीय है कि इस बड़े फैसले की पृष्ठभूमि में अप्रैल में केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव की ओर से की घोषणा की गई थी, जिसमें उन्होंने बताया था कि कैबिनेट की राजनीतिक मामलों की समिति ने आगामी जनगणना में जातिगत आंकड़ों को शामिल करने की स्वीकृति दे दी है।
उन्होंने कहा था, ‘कैबिनेट समिति ने आगामी जनगणना में जातिगत गणना को शामिल करने का निर्णय लिया है। यह फैसला सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण तथा समग्र राष्ट्रीय प्रगति की दिशा में एक अहम कदम है।’ उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि जनगणना पारदर्शी तरीके से कराई जाएगी।
काफी समय से उठती रही है जातिगत जनगणना की मांग
देखा जाए तो देशभर में जातिगत गणना की मांग काफी समय से उठती रही है। कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. और विभिन्न क्षेत्रीय दलों ने बार-बार इसकी आवश्यकता को रेखांकित किया है। हाल ही में कांग्रेस शासित कर्नाटक सरकार ने राज्यस्तरीय जातिगत सर्वे कराया था, जिसे लेकर कुछ प्रमुख समुदायों वोक्कालिगा और लिंगायत ने यह कहते हुए आपत्ति जताई थी कि इस सर्वे में उनके साथ न्याय नहीं हुआ।
कोविड-19 के कारण टली थी जनगणना
गौरतलब है कि भारत में यह जनगणना मूल रूप से अप्रैल, 2020 में आयोजित की जानी थी, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था। यदि इसे तय समय पर किया गया होता, तो अंतिम रिपोर्ट 2021 तक सामने आ जाती।
पहली जनगणना 1872 और आखिरी 2011 में हुई थी
भारत में हर दस साल में जनगणना होती है। पहली जनगणना 1872 में हुई थी। 1947 में आजादी मिलने के बाद पहली जनगणना 1951 में हुई थी और आखिरी जनगणना 2011 में हुई थी। आंकड़ों के मुताबिक, 2011 में भारत की कुल जनसंख्या 121 करोड़ थी जबकि लिंगानुपात 940 महिलाएं प्रति 1000 पुरुष और साक्षरता दर 74.04 फीसदी था।
आखिरी बार कब हुई थी जातिगत जनगणना?
पहली बार हुई जनगणना में जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी हुए थे। इसके बाद हर दस साल पर जनगणना होती रही। 1931 तक की जनगणना में हर बार जातिवार आंकड़े भी जारी किए गए। 1941 की जनगणना में जातिवार आंकड़े जुटाए गए थे, लेकिन इन्हें जारी नहीं किया गया। आजादी के बाद से हर बार की जनगणना में सरकार ने सिर्फ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के ही जाति आधारित आंकड़े जारी किए। अन्य जातियों के जातिवार आंकड़े 1931 के बाद कभी प्रकाशित नहीं किए गए।

