नई दिल्ली, 13 फरवरी। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को अडानी-हिंडनबर्ग मामले पर हुई सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया है कि उसे इस प्रकरण में कमेटी बनाने में कोई आपत्ति नहीं है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि नियामक तंत्र को मजबूत करने को लेकर विशेषज्ञ समिति स्थापित करने के प्रस्ताव पर सरकार तैयार है।
सुप्रीम कोर्ट ने निवेशकों के हितों को सुरक्षित रखने के लिए बनाए जाने वाली कमेटी में शामिल होने वाले सदस्यों को लेकर केंद्र सरकार से गुरुवार, 16 फरवरी तक रिपोर्ट सौंपने को कहा है। हालांकि तुषार मेहता ने कहा कि वह इस कमेटी के सदस्यों से संबंधित रिपोर्ट शीर्ष अदालत को सीलबंद लिफाफे में देंगे। सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र को कमेटी के सदस्यों के लिए अपने सुझाव सीलबंद लिफाफे में सौंपने की अनुमति दे दी है।
गौरतलब है कि अडानी-हिंडनबर्ग मामले में गत 10 फरवरी को भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी। तब मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि शेयर बाजार में सिर्फ धनी लोग ही पैसे नहीं लगाते, मध्यम वर्ग के लोग भी पैसे लगाते हैं। इसलिए निवेशकों के हितों की सुरक्षा जरूरी है।
स्मरण रहे कि वित्तीय शोध करने वाली अमेरिकी कम्पनी हिंडनबर्ग ने इसी वर्ष 25 जनवरी को अदानी ग्रुप के संबंध में 32 हजार शब्दों की एक रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट में कहा गया कि अडानी समूह दशकों से शेयरों के हेरफेर और अकाउंट की धोखाधड़ी में शामिल है। इस रिपोर्ट के आते ही भारतीय शेयर मार्केट में भूचाल आ गया और अडानी समूह के शेयर लुढ़क कर काफी नीचे आ गए। इस रिपोर्ट के आने के बाद संसद तक तक हंगामा हुआ। विपक्ष ने भी अदानी समूह पर जांच की भी मांग की।