नई दिल्ली, 27 अक्टूबर। केंद्र सरकार हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों के बाद जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की कथित तौर पर तैयारी कर रही है जबकि लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश बना रहेगा। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने से संबंधित प्रस्ताव नवम्बर के अंतिम सप्ताह में प्रस्तावित संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान पेश किए जाने की उम्मीद है।
समझा जाता है कि जम्मू-कश्मीर के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला द्वारा हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के कुछ दिनों बाद यह कदम उठाया गया है। अब्दुल्ला ने पीएम मोदी औऱ शाह से मुलाकातों के दौरान जम्मू-कश्मीर के लिए राज्य का दर्जा बहाल करने का अनुरोध किया था।
बैठक के बाद, दोनों नेताओं ने मुख्यमंत्री को इस साल के अंत तक क्षेत्र को पूर्ण राज्य का दर्जा वापस दिलाने का आश्वासन भी दिया था। वहीं भाजपा नेता और जम्मू-कश्मीर के प्रदेश अध्यक्ष रविंदर रैना के बयान में राज्य का दर्जा बहाल करने में जल्दबाजी न करने का सुझाव भी सामने आया था।
उल्लेखनीय है कि 2019 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 और 35A को रद कर दिया था, जिससे जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों – जम्मू और कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया गया था। उस समय, सरकार ने स्थिति सामान्य होने पर जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने की प्रतिबद्धता जताई थी। भाजपा ने हाल के विधानसभा चुनावों के दौरान भी इस प्रतिबद्धता को दोहराया।
इस बीच नवगठित उमर अब्दुल्ला सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में राज्य का दर्जा बहाल करने का प्रस्ताव पारित कर उप राज्यपाल (एलजी) मनोज सिन्हा को भेजा गया, जिन्होंने 19 अक्टूबर को इसे मंजूरी देकर गृह मंत्रालय को भेज दिया।