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किसानों को फायदा : केंद्र सरकार ने प्याज पर लागू 20% निर्यात शुल्क खत्म किया

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नई दिल्ली, 22 मार्च। केंद्र सरकार ने किसानों को बड़ी राहत प्रदान करते हुए प्याज पर लागू 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क एक अप्रैल से खत्म करने का फैसला किया है। वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग ने इस बाबत अधिसूचना भी जारी कर दी है।  समझा जाता है कि इस वर्ष प्याज के रिकॉर्ड उत्पादन से सरकार ने यह फैसला किया है।

दरअसल, निर्यात शुल्क का मकसद घरेलू बाजार में प्याज की उपलब्धता सुनिश्चित करना था। इसके लिए 20 फीसदी निर्यात शुल्क के साथ न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) और आठ दिसम्बर, 2023 से तीन मई, 2024 तक निर्यात प्रतिबंध शामिल था। हालांकि, अब सरकार ने 13 सितम्बर 2024 से लागू इस निर्यात शुल्क को हटाने का निर्णय लिया है। इससे किसानों और निर्यातकों को फायदा होने की उम्मीद है।

वस्तुतः सरकार किसानों और उपभोक्ताओं के हित के बीच लगातार संतुलन साधने की कोशिश कर रही है। वह किसानों को उनकी उपज की वाजिब कीमत दिलाने के प्रयास के साथ यह भी सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है कि प्याज का भाव जनता को न रुलाए।

निर्यात और कीमतों में उतार-चढ़ाव

देखा जाए तो प्याज के निर्यात पर भले ही प्रतिबंध था, लेकिन भारत ने वित्त वर्ष 2023-24 में 17.17 लाख मीट्रिक टन (LMT) और 2024-25 में 11.65 LMT प्याज का निर्यात किया। सितम्बर, 2024 में जहां प्याज का मासिक निर्यात 0.72 LMT था। वहीं जनवरी, 2025 तक यह बढ़कर 1.85 LMT हो गया।

मंडी में आवक बढ़ने से प्याज के भाव गिरे

रबी सीजन की नई फसल आने के साथ मंडी और रिटेल दोनों स्तरों पर प्याज के दाम में गिरावट आई है। हालांकि, मंडी में कीमतें पिछले वर्ष की तुलना में अब भी ज्यादा हैं, लेकिन ऑल-इंडिया वेटेड एवरेज मॉडल कीमतों में 39% और रिटेल कीमतों में 10% की गिरावट दर्ज की गई है।

इस माह महाराष्ट्र की प्रमुख मंडियों जैसे लासलगांव और पिंपलगांव में प्याज की आवक बढ़ी है। इससे कीमतों में नरमी आई है। 21 मार्च 2025 को लासलगांव में प्याज की मॉडल कीमत ₹1330 प्रति क्विंटल और पिंपलगांव में ₹1325 प्रति क्विंटल दर्ज की गई।

इस वर्ष प्याज का रिकॉर्ड उत्पादन

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अनुसार देश में इस बार प्याज का उत्पादन 227 LMT होने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष के 192 LMT से 18 फीसदी अधिक है। यह उत्पादन देश की कुल प्याज आपूर्ति का 70-75 फीसदी हिस्सा है और इससे अक्टूबर-नवम्बर में खरीफ फसल आने तक बाजार में स्थिरता बनी रहेगी। यह फैसला उस समय आया है जब पिछले वर्ष अगस्त 2023 से देश को कम उत्पादन और अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऊंची कीमतों की चुनौती का सामना करना पड़ा था। अब रबी फसल की अच्छी पैदावार से राहत मिलने की उम्मीद है।

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