नई दिल्ली, 20 मार्च। केंद्र सरकार ने एक आवेदन के जरिए सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि राज्य और केंद्र दोनों सरकारों को कोविड-19 मुआवजे के पैसे के फर्जी/जाली दावे प्रस्तुत करने के संबंध में रिपोर्ट मिली है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार ने अदालत से आदेश मांगा कि किसी भी केंद्रीय एजेंसी को मुआवजा भुगतान के अनुदान के लिए संबंधित राज्य सरकारों द्वारा दावा किए गए दस्तावेजों को सत्यापित करने और उसके बाद कदम उठाने के लिए एक नमूना जांच करने की अनुमति दी जाए।
पिछले वर्ष जून में सुप्रीम कोर्ट की ओर से पारित किए गए आदेश में कहा गया था कि कोविड-19 के कारण मरने वालों के परिवारों को 50,000 रुपये का मुआवजा मिलना चाहिए।
इस महीने की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह तेजी से भुगतान के अपने निर्देश का दुरुपयोग नहीं होने देगा। शीर्ष अदालत का यह बयान तब आया, जब सॉलिसिटर जनरल द्वारा फर्जी दस्तावेजों के मुद्दे को उजागर किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, ‘हमारे आदेश का किसी के द्वारा दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि यह एक वास्तविक व्यक्ति के दावे से वंचित करने के बराबर है।’
मुआवजा आवेदन के लिए चार सप्ताह की समय सीमा तय करने की भी मांग
केंद्र सरकार ने इसके अलावा मुआवजे के दावों को दाखिल करने के लिए कोविड-19 से परिवार के एक सदस्य की मौत के बाद चार सप्ताह की समय सीमा तय करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश की भी मांग की है।
सरकार ने अपने आवेदन में कहा कि दूसरी लहर के दौरान जिनके परिवार के सदस्यों की मृत्यु हो गई, उनके लिए 30 जुलाई तक दायर आवेदनों को मुआवजा मिलना चाहिए। जून के बाद होने वाली मौतों के मामले में मृत्यु के बाद चार सप्ताह की समय सीमा मुआवजे के दावे दाखिल करने के लिए कट-ऑफ होनी चाहिए।