नई दिल्ली/इम्फाल, 10 जून। केंद्र सरकार ने हिंसा से जूझ रहे पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में राज्यपाल अनुसुइया उइके की अध्यक्षता में एक शांति समिति गठित कर दी है। समिति के सदस्यों में मुख्यमंत्री, राज्य सरकार के कुछ मंत्री, सांसद, विधायक और विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता शामिल हैं। उनके अलावा पूर्व नौकरशाह, शिक्षाविद्, साहित्यकार, कलाकार, सामाजिक कार्यकर्ता और विभिन्न जातीय समूहों के प्रतिनिधियों को भी समिति में शामिल किया गया है।
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले महीने मणिपुर की यात्रा के दौरान स्थिति की समीक्षा के बाद शांति समिति के गठन की घोषणा की थी। समिति राज्य के विभिन्न जातीय समूहों के बीच शांति प्रक्रिया को सुगम बनाने का कार्य करेगी। वह विभिन्न जातीय समूहों के साथ शांति वार्ता के साथ-साथ उनके बीच परस्पर संवाद का माहौल भी बनाएगी। समिति राज्य में सामाजिक समरसता और आपसी समझ मजबूत बनाने की दिशा में भी कार्य करेगी।
हिंसा की जांच के लिए न्यायिक जांच आयोग के अध्यक्ष इम्फाल पहुंचे
इस बीच जातीय हिंसा की जांच के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से गठित तीन सदस्यीय जांच आयोग के अध्यक्ष गुवाहाटी उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) न्यायमूर्ति अजय लांबा मणिपुर पहुंच चुके हैं। उनके साथ आयोग के सदस्य हिमांशु शेखर दास (सेवानिवृत्त) आईएएस भी इम्फाल पहुंचे हैं।
न्यायिक जांच आयोग को 6 माह के भीतर पेश करनी है रिपोर्ट
जांच आयोग को छह महीने के भीतर हिंसा की जांच की रिपोर्ट सरकार को सौंपनी होगी। आज से छह महीने बाद आयोग की पहली बैठक होने वाली है, जिससे पहले इस रिपोर्ट का तैयार होना आवश्यक है।
जांच आयोग का मुख्यालय इंफाल में होगा। प्राप्त जानकारी के अनुसार यह जांच उन शिकायतों या आरोपों के संबंध में भी होगी, जो किसी व्यक्ति या संघ द्वारा पैनल के समक्ष ऐसे रूप में और ऐसे हलफनामों के साथ की जा सकती हैं, जैसा कि आयोग द्वारा निर्दिष्ट किया जा सकता है।