नई दिल्ली, 2 सितम्बर। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने ओडिशा के बालासोर ट्रेन हादसा मामले में रेलवे के गिरफ्तार 3 अधिकारियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है। इन तीनों पर गैर इरादतन हत्या और सबूत नष्ट करने के आरोप हैं। इन कर्मचारियों को जुलाई में गिरफ्तार किया गया था, जिनकी पहचान अरुण कुमार महंत, मोहम्मद अमीर खान और पप्पू कुमार के तौर पर हुई है। दो जून की शाम तीन ट्रेनों की आपसी टक्कर के चलते हुए उस दर्दनाक हादसे में 290 लोग मारे गए थे और लगभग 12 सौ घायल हुए थे।
सीबीआई ने भुवनेश्वर में विशेष अदालत के समक्ष दलील देते हुए गंभीर आरोप लगाए थे। इसमें कहा गया कि दुर्घटना का एक कारण लेवल क्रॉसिंग (एलसी) गेट नंबर 79 के सर्किट स्केच का इस्तेमाल करना रहा, जहां सीनियर सेक्शन इंजीनियर (सिग्नल प्रभारी) अरुण कुमार महंत की ओर से बहनागा बाजार स्टेशन के पास लेवल क्रॉसिंग (एलसी) गेट नंबर 94 पर मरम्मत कार्य किया गया था।
महंत ने आरोपों का खंडन करते हुए दावा किया था कि किमी 255/11-13 पर एलसी गेट नं. 94 ठीक से काम नहीं कर रहा था, लेकिन अधिकारियों ने इसके लिए ‘सक्रियता से कारवाई’ नहीं की। उन्होंने कहा था कि संबंधित पर्यवेक्षण का काम कुछ अन्य व्यक्तियों को सौंपा गया था, इसलिए वे दुर्घटना के लिए जिम्मेदार नहीं हैं।
7 जुलाई को महंत समेत तीन की हुई थी गिरफ्तारी
सीबीआई ने बालासोर में तीन ट्रेनों से जुड़ी दुर्घटना मामले की जांच के संबंध में सात जुलाई, 2023 को महंत और दो अन्य रेलवे अधिकारियों को गिरफ्तार किया था। यह भीषण हादसा तब हुआ, जब 2 जून को बालासोर जिले के बहनागा बाजार स्टेशन के पास कोरोमंडल एक्सप्रेस दूसरी लाइन पर खड़ी एक मालगाड़ी से टकरा गई और उसके कुछ पटरी से उतरे डिब्बे यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस से टकरा गए। भुवनेश्वर की एक विशेष सीबीआई अदालत ने हाल में महंत की जमानत याचिका इस आधार पर खारिज कर दी कि सीबीआई की ओर से रिकॉर्ड पर प्रस्तुत सामग्री प्रथम दृष्टया मामले में उनकी संलिप्तता को दर्शाती है।
CBI ने अदालत को बताया – कहां हुई थी गड़बड़ी
सीबीआई ने अदालत में कहा, ‘बहनागा बाजार रेलवे स्टेशन में उत्तरी गुमटी में वायरिंग कार्य के समय लेवल क्रॉसिंग गेट नंबर 94 के ऑपरेशन को 110 वोल्ट एसी से 24 वोल्ट डीसी में बदला गया, जिसके लिए एक अन्य एलसी गेट संख्या 79 के विशिष्ट सर्किट स्केट का इस्तेमाल किया गया।’
सीबीआई ने कहा कि नियमावली के अनुसार वर्तमान आरोपित याचिकाकर्ता को यह सुनिश्चित करना था कि मौजूदा सिग्नल और इंटरलॉकिंग सिस्टम का टेस्ट, मरम्मत और बदलाव मंजूर योजना और निर्देशों के अनुसार हों। अदालत ने सीबीआई की दलीलों का हवाला देते हुए कहा, ‘यह पता चलता है कि आरोपितों ने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया था, जिसके कारण दुर्घटना हुई।’