नई दिल्ली, 17 फरवरी। बीबीसी इंडिया के दिल्ली और मुंबई स्थित दफ्तरों पर आयकर विभाग की सर्वेक्षण काररवाई के बाद केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कहा है कि आयकर विभाग ने ट्रांसफर प्राइसिंग दस्तावेजीकरण के संबंध में कई विसंगतियों का पता लगाया है।
सीबीडीटी ने शुक्रवार को जारी बयान में कहा कि सर्वेक्षण टीमों ने कर्मचारियों के बयान, डिजिटल प्रमाण और दस्तावेजों के माध्यम से महत्वपूर्ण सबूतों का पता लगाया है। जानकारी मिली है कि विभिन्न समूहों द्वारा दिखाई गई आय और लाभ के दस्तावेज भारत में इसके संचालन के पैमाने के अनुरूप नहीं थे।
संगठन के संचालन में पाई गईं कुछ विसंगतियां
बयान में कहा गया है, ‘सर्वेक्षण के दौरान, विभाग ने संगठन के संचालन से संबंधित कई साक्ष्य एकत्र किए, जो इंगित करते हैं कि कुछ प्रेषणों (प्राप्त किए गए पैसों) पर कर का भुगतान नहीं किया गया है। ये वह धनराशि है, जिन्हें समूह (बीबीसी) की विदेशी संस्थाओं द्वारा भारत में आय के रूप में प्रकट नहीं किया गया है।
सर्वेक्षण के संचालन से यह भी पता चला कि सहायक कर्मचारियों की सेवाओं का उपयोग किया गया है, जिसके लिए भारतीय इकाई द्वारा संबंधित विदेशी संस्था को भुगतान किया गया है। इसके अलावा, सर्वेक्षण में ट्रांसफर प्राइसिंग दस्तावेज के संबंध में कई विसंगतियां और विसंगतियां सामने आई हैं।’
मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि ट्रांसफर प्राइसिंग के मामलों में आम तौर पर सर्वेक्षण या तलाशी की काररवाई नहीं होती है। लेकिन इस मामले में ‘गैर-अनुपालन’ के कारण उनका सहारा लिया जा सकता है।
सर्वे के दौरान डिजिटल उपकरण जब्त नहीं किए गए
गौरतलब है कि आयकर विभाग ने मंगलवार को बीबीसी की सहायक कम्पनियों के अंतरराष्ट्रीय कराधान और स्थानांतरण मूल्य निर्धारण से संबंधित मुद्दों की जांच के लिए ‘सर्वेक्षण’ की काररवाई शुरू की थी, जो गुरुवार को समाप्त हुई। काररवाई के बाद आयकर विभाग की तरफ से बताया गया कि सर्वे के दौरान डिजिटल उपकरण जब्त नहीं किए गए।
बयान में कहा गया कि बीबीसी के संपादकीय स्टाफ में से जिन्हें काररवाई के लिए महत्वपूर्ण नहीं समझा गया, उन्हें नियमित काम करने की अनुमति दी गई। सिर्फ महत्वपूर्ण माने जाने वाले उपकरणों की ही डेटा क्लोनिंग की गई है। क्लोनिंग के बाद सभी उपकरण वापस कर दिए गए।’