पटना, 6 जनवरी। बिहार में शनिवार, सात जनवरी से जातीय गणना की शुरुआत होने जा रही है। पहले चरण में आवासीय मकानों की गिनती होनी है और प्रत्येक मकान में नंबर डाला जाएगा। इसकी शुरुआत पटना के वीआईपी इलाकों से होनी है, जहां अधिकारियों और विधायक, मंत्रियों के आवास हैं।
जातिगत जनगणना के हिसाब से विकास का पैमाना निर्धारित करेंगे – नीतीश कुमार
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जातिगत जनगणना पर कहा कि इसके जरिए सरकार जाति के साथ-साथ लोगों की आर्थिक स्थिति का भी जानकारी लेगी ताकि आने वाले समय में उसके हिसाब से विकास का पैमाना निर्धारित किया जा सके। उन्होंने कहा कि अगर यह जातिगत जनगणना बिहार के साथ-साथ पूरे देश में कराई गई होती तो समाज के हर तबके के लिए बहुत ही फायदेमंद साबित होता।
नीतीश कुमार ने कहा कि जातिगत जनगणना के लिए हर एक चीज की समीक्षा की गई है। काफी संख्या में लोगों को इसके लिए ट्रेंड किया गया है, जो एक-एक घर में जाकर हर चीज की जानकारी जुटाएंगे। बहुत से ऐसे लोग हैं, जो जाति की जगह उपजाति बता देते हैं, इन सब चीजों को देखना होगा।
सीएम नीतीश ने उम्मीद जताई है कि बिहार में जातिगत जनगणना का काम ठीक ढंग से पूरा कर लिया जाएगा। कर्मियों को इस बात की भी ट्रेनिंग दी गई है कि जो भी लोग हैं, उनकी आर्थिक स्थिति को भी ठीक ढंग से देखना है ताकि सरकार को सभी जातियों के लोगों की आर्थिक स्थिति की भी जानकारी मिल सके।
इस गणना के जरिए हर एक आदमी की पूरी जानकारी सरकार के पास होगी
उन्होंने कहा कि सिर्फ जातिगत गणना नहीं कराई जा रही है बल्कि इस गणना के जरिए हर एक आदमी की पूरी जानकारी सरकार के पास होगी। इसी के आधार पर सरकार तय करेगी कि विकास को गति देने के लिए और क्या-क्या किया जा सकता है?
केंद्र के लोग नहीं चाहते थे कि जातिगत जनगणना हो
नीतीश ने कहा, ‘हम लोगों की कोशिश थी कि राष्ट्रीय स्तर पर जातिगत जनगणना हो, लेकिन केंद्र के लोग नहीं चाहते थे। इसलिए अपने राज्य में करा रहे हैं और जातिगत जनगणना के बाद जो जानकारी सामने आएगी, उसके बारे मे केंद्र को भी बताएंगे। जातिगत जनगणना में कई चीजें सामने आएंगी। इसके आधार पर यह स्पष्ट हो जाएगा कि हमें क्या-क्या करना है। एक-एक चीज से संबंधित रिपोर्ट सरकार तक पहुंच जाएगी। इसके आधार पर लोगों के विकास के लिए काम किया जाएगा।’