लखनऊ, 27 जून। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने स्पष्ट किया है कि अगले वर्ष प्रस्तावित उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी अकेले मैदान में उतरेगी और मीडिया के कुछ वर्ग में प्रसारित असदुद्दीन ओवैसी से गठबंधन की खबरें पूरी तरह निराधार हैं।
ज्ञातव्य है कि एक समाचार चैनल ने असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम और बसपा के बीच गठबंधन की खबर प्रसारित की थी। राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने ऐसी अटकलों को खारिज करते हुए ट्वीट में लिखा, ‘मीडिया के एक न्यूज चैनल में कल से यह खबर प्रसारित की जा रही है कि यूपी में आगामी विधानसभा आम चुनाव औवेसी की पार्टी एआईएमआईएम और बीएसपी मिलकर लड़ेगी। यह खबर पूर्णतः गलत, भ्रामक व तथ्यहीन है। इसमें रत्तीभर भी सच्चाई नहीं है तथा बीएसपी इसका जोरदार खण्डन करती है।’
पंजाब को छोड़कर कहीं भी बसपा का कोई गठबंधन नहीं
मायावती ने अन्य ट्वीट में कहा, ‘वैसे इस संबंध में पार्टी द्वारा फिर से यह स्पष्ट किया जाता है कि पंजाब को छोड़कर, यूपी व उत्तराखण्ड प्रदेश में अगले वर्ष के प्रारंभ में होने वाला विधानसभा का यह आम चुनाव बीएसपी किसी भी पार्टी के साथ कोई भी गठबंधन करके नहीं लड़ेगी अर्थात अकेले ही लड़ेगी।’
सतीश मिश्र बने बसपा मीडिया सेल के राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर
बसपा मुखिया ने कहा, ‘बीएसपी के बारे में इस किस्म की मनगढ़ंत व भ्रमित करने वाली खबरों को खास ध्यान में रखकर ही अब बीसपी के राष्ट्रीय महासचिव व राज्यसभा सांसद सतीश चंद्र मिश्र को बीएसपी मीडिया सेल का राष्ट्रीय कोऑर्डिनेट बना दिया गया है। साथ ही मीडिया से भी यह अपील है कि वे बहुजन समाज पार्टी व पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष आदि के संबंध में इस किस्म की भ्रमित करने वाली अन्य कोई भी गलत खबर लिखने, दिखाने व छापने से पहले एस.सी. मिश्र से इस संबंध में सही जानकारी प्राप्त कर ले।’
पंजाब में अकाली दल से गठबंधन कर चुकी है बसपा
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही बसपा ने पंजाब में मुख्य विपक्षी पार्टी शिरोमणि अकाली दल के साथ 2022 विधानसभा चुनाव के लिए गठबंधन किया है। राज्य में 32 फीसदी से ज्यादा दलित आबादी है। ऐसे में बीएसपी ने सुखबीर सिंह बादल की पार्टी से अलायंस करते हुए बड़ा दांव खेला है। गठबंधन के तहत राज्य की 117 विधानसभा सीटों में से 20 पर बीएसपी लड़ेगी, जबकि बाकी 97 सीटें अकाली दल के हिस्से में आई हैं। पंजाब में 1996 के लोकसभा चुनाव में भी बसपा ने अकाली दल से गठबंधन किया था। तब अलायंस ने राज्य की 13 में से 11 लोकसभा सीटें जीती थीं। बीएसपी जिन तीन सीटों पर लड़ी थी, सभी में उसे जीत मिली थी।
यूपी में लगातार 2 विधानसभा चुनाव हार चुकी है बसपा
देखा जाए तो चार बार यूपी की मुख्यमंत्री रह चुकीं मायावती के राजनीतिक भविष्य के लिए 2022 का चुनाव अहम है। 2012 के चुनाव में समाजवादी पार्टी और 2017 में भाजपा से उनकी पार्टी को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी। 2017 में पार्टी सिर्फ 19 सीटों पर सिमट गई और उसका मुख्य विपक्षी दल का दर्जा भी खत्म हो गया। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी ने अखिलेश यादव की सपा से गठबंधन करते हुए 10 सीटों पर जीत हासिल की। चुनाव के बाद यह साथ छूट गया।