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महिला आरक्षण विधेयक के समर्थन में BRS, के. कविता ने टीएमसी समेत 47 दलों को लिखी चिट्ठी

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नई दिल्ली, 5 सितम्बर। क्या संसद के विशेष सत्र में महिला आरक्षण बिल पेश किया जा सकता है? यह सवाल इसलिए खड़ा हो चुका है कि कुछ दिनों पहले देश के उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने महिला आरक्षण बिल को लेकर एक टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि वह दिन अब दूर नहीं है, जब देश की संसद और विधानसभा में महिलाओं का उचित प्रतिनिधित्व होगा।

वहीं, मंगलवार को भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) पार्टी की एमएलसी कविता ने मंगलवार को टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी सहित 47 राजनीतिक दलों के नेताओं को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने महिला आरक्षण बिल पर सभी राजनीतिक दलों से सभी मतभेदों को दूर कर एक साथ होकर इस बिल को संसद (लोकसभा) में पारित करने का आह्वान किया है।उन्होंने इस पत्र में लिखा है कि आज के वक्त भारतीय राजनीति और खासकर चुनाव में महिलाओं की भागीदारी की ज्यादा से ज्यादा जरूरत है।

उन्होंने बताया कि फिलहाल देश में 14 लाख से ज्यादा महिलाएं राजनीतिक दलों के साथ जुड़े हैं और सभी देश की सेवा कर रहे हैं। भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, डीएमके के एमके स्टालिन, एनसीपी के शरद पवार, कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खरगे, वाईएसआरसीपी के जगन मोहन रेड्डी सहित कई राजनीतिक दलों के नेताओं को उन्होंने पत्र लिखा है।

क्या है महिला आरक्षण बिल?

महिला आरक्षण बिल संसद में पेश किया गया वह बिल है, जिसके पारित होने से संसद में महिलाओं की भागीदारी 33 प्रतिशत सुनिश्चित हो जाएगी। गौरतलब है कि इस बिल को पहले भी कई बार संसद में प्रस्तुत किया जा चुका है और राज्यसभा से ये बिल पास हो चुका है। 9 मार्च साल 2010 में कांग्रेस ने बीजेपी, जेडीयू और वामपंथी दलों के सपोर्ट से राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल भारी बहुमत से पारित कराया। हालांकि, लोकसभा में कभी भी बिल पास नहीं हो सका।

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