लंदन, 19 सितंबर। राजाओं और रानियों, विश्व के नेताओं, सड़कों पर अश्रुपूर्ण शोक मनाने वालों और स्क्रीन के चारों ओर एकत्रित होकर लोगों ने सोमवार को ब्रिटिश महारानी एलिजाबेथ द्वितीय को अंतिम विदाई दी। महारानी को अंतिम विदाई देते हुए उनके ताबूत को विंडसर कैसल स्थित सेंट जॉर्ज चैपल के शाही ‘वॉल्ट’ (शव कक्ष) में रख दिया गया।
ब्रिटिश शाही परिवार में सर्वाधिक वरिष्ठ अधिकारी लॉर्ड चैम्बरलैन ने ‘राजदंड’ तोड़ने की रस्म पूरी की। शाही परिवार और सैकड़ों की संख्या में लोगों ने दिवंगत महारानी को अंतिम विदाई दी। ब्रिटेन की घरेलू गुप्तचर सेवा एमआई 5 के पूर्व प्रमुख एंड्रयू पार्कर ने सफेद राजदंड को तोड़ने की रस्म पूरी की और इसे महारानी के ताबूत पर रख दिया। यह रस्म राजशाही के प्रति उनकी सेवाओं की समाप्ति का प्रतीक है। महारानी को उनके पति प्रिंस फिलिप के बराबर में दफनाया गया।
इससे पहले विंडसर के डीन डेविड कोन्नर ने महारानी को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने महारानी को अंतिम विदाई देने के लिए जुटे 800 लोगों को उनकी ईसाई धर्म के प्रति आस्था के बारे में बताया। उन्होंने कहा, ‘हमारी तेजी से बदलती और अक्सर संकट में घिरती दुनिया में उनकी शांत एवं गरिमापूर्ण उपस्थिति से हमें उनकी ही तरह साहस और उम्मीद के साथ भविष्य का सामना करने की ताकत मिली…।’
एबे में अंतिम संस्कार समारोह के समापन पर राष्ट्रव्यापी दो मिनट का मौन
इससे पहले, महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के ताबूत को एक भव्य राजकीय अंतिम संस्कार के लिए जैसे ही वेस्टमिंस्टर एबे के भीतर ले जाया गया, इस दौरान बिग बेन थम गई और हवा में प्रार्थनाओं के स्वर गूंजने लगे।
अंतिम संस्कार समारोह के समापन पर एक मार्मिक राष्ट्रव्यापी श्रद्धांजलि में दो मिनट का मौन रखा गया, जिसमें ब्रिटेन के शाही परिवार के सदस्यों के साथ ही दुनियाभर के विभिन्न देशों से राष्ट्राध्यक्ष और प्रमुख नेताओं ने भाग लिया और दुनियाभर में लाखों लोग टेलीविजन पर महारानी की अंतिम यात्रा के साक्षी बने।
एलिजाबेथ टावर में लगी बिग बेन में एक-एक मिनट बाद 96 बार घंटा बजाया गया
महाराजा चार्ल्स तृतीय की अगुआई में ताबूत यात्रा 11वीं सदी के ऐतिहासिक एबे पहुंची तो दिवंगत महारानी के नाम पर बने एलिजाबेथ टावर में लगी बिग बेन में एक-एक मिनट बाद 96 बार घंटा बजाया गया, जो महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के जीवन काल को श्रद्धांजलि का प्रतीक था।
प्रार्थना सभा के आयोजन में शामिल वेस्टमिंस्टर के डीन वेरी रेवरेंड डॉ डेविड होयले ने कहा कि जहां महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की शादी हुई थी और उन्हें ताज पहनाया गया था, वहां देश और दुनिया से बड़ी संख्या में लोग दिवंगत महारानी को श्रद्धांजलि देने जुटे हैं।
महारानी की अंतिम यात्रा में महाराजा चार्ल्स सहित पूरा शाही परिवार शामिल था
स्थानीय समयानुसार पूर्वाह्न 11 बजते ही शुरू हुई महारानी की इस अंतिम यात्रा में उनके बेटे और महाराजा चार्ल्स पीछे चल रहे थे। महाराजा के साथ उनके बेटे प्रिंस विलियम और प्रिंस हैरी तथा भाई-बहन प्रिंसेस एनी और प्रिंस एंड्रयू तथा प्रिंस एडवर्ड थे। इस अंतिम यात्रा में साथ चलने वाले राजपरिवार के सबसे कम उम्र के सदस्यों में नौ वर्षीय प्रिंस जॉर्ज तथा सात साल की प्रिंसेस शेरलोट थीं। दोनों अपने माता-पिता प्रिंस और प्रिंसेस ऑफ वेल्स के बीच में चल रहे थे। देशभर में दो मिनट के मौन के साथ महारानी की प्रार्थना सभा समाप्त हुई और अंतिम संस्कार के पहले भाग के रूप में राष्ट्रगान ‘गॉड सेव द किंग’ की धुन बजाई गई।
ज्ञातव्य है कि 70 वर्षों तक राजगद्दी पर आसीन रहीं महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का गत आठ सितम्बर को बाल्मोरल कैसल स्थित उनके आवास में निधन हो गया था। वह 96 वर्ष की थीं। बड़ी संख्या में लोग लंदन में सर्द रात की परवाह किए बगैर संसद के वेस्टमिंस्टर हॉल में ‘लाइंग इन स्टेट’ (अंतिम दर्शन के लिए रखा पार्थिव शरीर) में रखे महारानी के ताबूत के अंतिम दर्शन करने के लिए पहुंचे। शोक व्यक्त करने वाले लोग सोमवार सुबह साढ़े छह बजे के कुछ ही देर बाद वेस्टमिंस्टर हॉल से चले गए।
देशभर मे बड़े स्क्रीन के माध्यम से अंतिम संस्कार का सीधा प्रसारण
महारानी के ताबूत के दर्शन करने वाले आखिरी व्यक्ति ने कहा कि यह ‘मेरे जीवन का सबसे अहम क्षण’ रहेगा। अंतिम संस्कार से पहले शाही परिवार ने महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का सोमवार को अंतिम चित्र जारी किया, जिसमें वह हल्के नीले रंग की पोशाक पहने अपने चिर परिचित अंदाज में मुस्कुराती नजर आ रही थीं। सोमवार को सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की गई थी और देशभर में टीवी पर तथा उद्यानों एवं सार्वजनिक स्थलों पर बड़े स्क्रीन के माध्यम से अंतिम संस्कार का सीधा प्रसारण किया गया।