लंदन, 19 जनवरी। वर्ष 2002 के गुजरात दंगों में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका को लेकर सवाल उठाती बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर घमासान मचा हुआ है। यह मुद्दा ब्रिटिश संसद में भी उछला। हालांकि खुद ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक पीएम मोदी का बचाव करते दिखे और उन्होंने बीबीसी की इस नई डॉक्यूमेंट्री पर एतराज भी जताया।
ब्रिटिश संसद में पीएम मोदी का बचाव करते हुए सुनक ने बीबीसी डॉक्यूमेंट्री से खुद को अलग कर लिया। उन्होंने कहा कि डॉक्यूमेंट्री में जिस तरह से उनके भारतीय समकक्ष का कैरेक्टर दिखाया गया है, वह उससे सहमत नहीं हैं। सुनक की यह टिप्पणी पाकिस्तान मूल के सांसद इमरान हुसैन द्वारा ब्रिटिश संसद में विवादित डॉक्यूमेंट्री का मुद्दा उठाए जाने के बाद आई।
सुनक बोले – ‘मोदी का जो चित्रण किया गया, मैं उससे बिल्कुल सहमत नहीं‘
सुनक ने बीबीसी की रिपोर्ट पर हुसैन के सवाल का जवाब देते हुए कहा, ‘इस (मुद्दे) पर यूके सरकार की स्थिति स्पष्ट है और लंबे समय से चली आ रही है। सरकार की स्थिति इस पर बदली नहीं है। निश्चित रूप से, हम उत्पीड़न को बर्दाश्त नहीं करते हैं, चाहे वह कहीं भी हो। लेकिन माननीय सज्जन ने (पीएम मोदी का) जो चरित्र चित्रण किया है, मैं उससे बिल्कुल सहमत नहीं हूं।’
UK govt slams BBC report: UK Prime MInister Rishi Sunak snubs Pak-origin British MP Imran Hissain in house, on accusation orchestrated by BBC's highly slanted report against PM Modi pic.twitter.com/PZkBVMGlGM
— Megh Updates 🚨™ (@MeghUpdates) January 19, 2023
बीबीसी ने एक अरब से अधिक भारतीयों को बहुत ठेस पहुंचाई – लॉर्ड रामी रेंजर
उल्लेखनीय है कि ब्रिटेन के राष्ट्रीय प्रसारक बीबीसी ने 2002 के गुजरात दंगों के दौरान गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में पीएम नरेंद्र मोदी के कार्यकाल पर निशाना साधते हुए दो पार्ट की सीरीज प्रसारित की है। डॉक्यूमेंट्री रिलीज होने के बाद विवाद शुरू हो गया, जिसके बाद बीबीसी ने इसे चुनिंदा प्लेटफार्मों से हटा दिया है। प्रमुख भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिकों ने भी इस डॉक्यूमेंट्री की निंदा की है। प्रमुख यूके नागरिक लॉर्ड रामी रेंजर ने कहा, ‘बीबीसी ने एक अरब से अधिक भारतीयों को बहुत ठेस पहुंचाई है।’
विदेश मंत्रालय ने कहा – यह डॉक्यूमेंट्री महज दुष्प्रचार का हिस्सा
भारत ने भी बीबीसी की इस डॉक्यूमेंट्री को ‘दुष्प्रचार का एक हिस्सा’ करार देते हुए कहा है कि इसमें पूर्वाग्रह, निष्पक्षता की कमी और औपनिवेशिक मानसिकता स्पष्ट रूप से झलकती है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बीबीसी की इस डॉक्यूमेंट्री पर संवाददाताओं के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि यह एक विशेष ‘गलत आख्यान’ को आगे बढ़ाने के लिए दुष्प्रचार का एक हिस्सा है। यह हमें इस कवायद के उद्देश्य और इसके पीछे के एजेंडा के बारे में सोचने पर मजबूर करता हैं।’