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ब्रिटिश पीएम-इलेक्ट ऋषि सुनक ने अपने पहले संबोधन में कहा – ‘स्थिरता और एकता मेरी शीर्ष प्राथमिकता’

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लंदन, 24 अक्टूबर। लिज ट्रस से ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के लिए तैयार भारतीय मूल के ऋषि सुनक ने देशवासियों से कहा है कि देश में स्थिरता और एकता लाना उनकी शीर्ष प्राथमिकता होगी।

गौरतलब है कि पूर्व चांसलर सुनक ने सोमवार को अपराह्न टोरी लीडरशिप की प्रतिस्पर्धा जीती और अब वह बकिंघम पैलेस में किंग चार्ल्स III के साथ लंदन स्थित 10 डाउनिंग स्ट्रीट के दरवाजे से चलने के लिए तैयार हैं। 42 वर्षीय सुनक भारतीय विरासत के पहले हिन्दू प्रधानमंत्री होने के अलावा लगभग 200 वर्षों में सबसे कम उम्र के पीएम बनेंगे।

परिणाम घोषित होने के तुरंत बाद टोरी नेता के रूप में अपने पहले संबोधन में सुनक ने कहा कि उनकी प्राथमिकता देश को एक साथ लाना होगा। उन्होंने कहा, ‘अपने जीवन का ‘सबसे बड़ा विशेषाधिकार’ पाकर मैं आह्लवादित और सम्मानित महसूस कर रहा हूं। मुझे देश को बहुत कुछ देना है।’

संसद के पास कंजर्वेटिव पार्टी मुख्यालय पर सुनक ने कहा, ‘ब्रिटेन एक महान देश है, लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं है कि हम एक गम्भीर आर्थिक चुनौती का सामना कर रहे हैं। हमें अब स्थिरता और एकता की आवश्यकता है और मैं अपनी पार्टी और अपने देश को एक साथ लाना अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता बनाऊंगा क्योंकि यही एकमात्र तरीका है, जिससे हम अपने सामने आने वाली चुनौतियों से पार पा सकेंगे और अपने बच्चों व अपने पोतों के लिए एक बेहतर, अधिक समृद्ध भविष्य का निर्माण कर सकेंगे।’

सुनक ने कहा, ‘मैं प्रतिज्ञा करता हूं कि ईमानदारी और नम्रता के साथ आपकी सेवा करूंगा और ब्रिटेनवासियों के लिए दिन-रात काम करूंगा।’ वस्तुतः पूर्व वित्त मंत्री सुनक की राह पहले ही आसान हो गई थी, क्योंकि टोरी के 357 सांसदों में से आधे से अधिक का उन्हें समर्थन था जबकि पीएम पद की रेस में शामिल होने के पिए न्यूनतम 100 सांसदों का समर्थन जरूरी था।

स्थानीय समयानुसार सोमवार दो दोपहर दो बजे बैकबेंच सांसदों की प्रभावशाली 1922 समिति के अध्यक्ष सर ग्राहम ब्रैडी ने संसद परिसर में घोषणा की उन्हें केवल एक ‘वैध’ नामांकन प्राप्त हुआ है और इसलिए सुनक नेतृत्व की प्रतिस्पर्धा के विजेता हैं।

पीएम पद के पिछले चुनाव में सुनक को लिज ट्रस के मुकाबले नजदीकी अंतर से पराजय का सामना करना पड़ा था। लेकिन अपने वादों के अनुरूप काम कर पाने में विफल ट्रस को सिर्फ 45 दिनों में इस्तीफा देने के लिए बाध्य होना पड़ा।

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