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टू प्लस टू मीटिंग में ब्लिंकन व जयशंकर बोले – भारत व अमेरिका मिलकर कर रहे भविष्य का निर्माण

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नई दिल्ली, 10 नवम्बर। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और उनके अमेरिकी समकक्ष एंटनी ब्लिंकन ने हमास-इजराइल युद्ध के कारण पैदा हो रही स्थिति और भारत एवं अमेरिका की रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करने के तरीकों पर शुक्रवार को यहां वार्ता की। जयशंकर और ब्लिंकन के बीच यह बैठक भारत-अमेरिका ‘टू प्लस टू’ रक्षा एवं विदेश मंत्रिस्तरीय वार्ता के पांचवें संस्करण से पहले हुई।

जयशंकर ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर साझा किए गए एक पोस्ट में अपने अमेरिकी समकक्ष के साथ बातचीत को ‘‘खुली और उपयोगी’’ बताया। उन्होंने कहा, ‘‘विदेश मंत्री ब्लिंकन से आज सुबह मुलाकात करके अच्छा लगा। हमारी रणनीतिक साझेदारी को और विकसित करने पर खुली एवं उपयोगी वार्ता हुई।

हमने पश्चिम एशिया, हिंद-प्रशांत और अन्य क्षेत्रीय मामलों पर भी बात की।’’ अमेरिका के विदेश मंत्री ब्लिंकन पिछले माह शुरू हुए इजराइल-हमास युद्ध के कारण कुछ सप्ताह से राजनयिक रूप से बेहद व्यस्त रहे हैं। ब्लिंकन और अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड आस्टिन विदेश और रक्षा मंत्रिस्तरीय वार्ता में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली में हैं। इस वार्ता का उद्देश्य गहन रणनीतिक सहयोग के लिए भारत और अमेरिका के संबंधों के भविष्य के खाके को आगे बढ़ाना है।

वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और जयशंकर करेंगे। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि ‘टू प्लस टू’ वार्ता और राजनाथ एवं ऑस्टिन के बीच होने वाली द्विपक्षीय बैठक में रणनीतिक, रक्षा तथा प्रौद्योगिकी संबंधी कई मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है। विदेश मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि ‘टू प्लस टू’ संवाद के जरिये रक्षा और सुरक्षा सहयोग, प्रौद्योगिकी मूल्य शृंखला सहयोग और दोनों देशों के लोगों के बीच परस्पर संबंधों में प्रगति की उच्चस्तरीय समीक्षा हो सकेगी।

मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘मंत्रियों को इस साल जून और सितंबर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा अपनी चर्चाओं में परिकल्पित भारत-अमेरिका साझेदारी के भविष्य के खाके को आगे बढ़ाने का मौका मिलेगा।’’ बयान में कहा गया है कि दोनों पक्ष समसामयिक क्षेत्रीय मुद्दों का भी जायजा लेंगे और बहुपक्षीय मंच तथा क्वाड (चतुष्पक्षीय सुरक्षा संवाद) जैसे ढांचे के माध्यम से सहयोग बढ़ाने के लिए साझा प्राथमिकताओं के बारे में विचारों का आदान-प्रदान करेंगे।

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