नई दिल्ली, 1 नवम्बर। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सबसे पुराने कार्यकर्ता भुलई भाई का गुरुवार को निधन हो गया। उन्होंने 111 स ल की उम्र में शाम 6 बजे कप्तानगंज में अंतिम सांस ली। कोविड महामारी के समय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद फोन करके भुलई भाई का हालचाल जाना था। इसके बाद भुलई भाई लाइमलाइट में आ गए थे। 111 साल के श्री नारायण उर्फ भुलई भाई जनसंघ के टिकट पर विधायक रहे। सोमवार को उनकी तबीयत खराब हुई थी और उसके बाद से वो पगार छपरा स्थित अपने घर पर ही ऑक्सीजन पर थे।
भुलई भाई दीनदयाल उपाध्याय से प्रेरित होकर राजनीति में आए थे और 1974 में कुशीनगर की नौरंगिया सीट से जनसंघ दो बार विधायक बने थे। जनसंघ के बीजेपी बनने के बाद भी वो पार्टी कार्यकर्ता थे। साल 2022 में उत्तर प्रदेश में दोबारा योगी आदित्यनाथ की सरकार आने के बाद शपथ ग्रहण समारोह में भुलई भाई खास मेहमान बन कर लखनऊ पहुंच थे। लखनऊ में कार्यकर्ता सम्मेलन में भुलई भाई को अमित शाह ने मंच से नीचे उतर कर सम्मानित किया था।
दीनदयाल उपाध्याय ने अपनी थाली से दिया खाना
एक बार की बात है जब दीनदयाल उपाध्याय ने भुलई भाई को अपनी थाली से खाना लेने का आग्रह किया तो भुलाई भाई ने हिचकिचाते हुए उनसे कहा था कि, “यदि आपने मुझे अपना खाना दे दिया तो आप क्या खाएंगे ?” तब महान नेता ने कहा था कि आप खाइये आपको लंबा जीवन जीना है।
शिक्षा अधिकारी की नौकरी छोड़ राजनीति में आए
जब भारतीय जनसंघ स्थापित हुआ तो भुलई भाई स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रहे थे। बाद में भुलई भाई शिक्षा अधिकारी बन गए। लेकिन 1974 में उन्होंने नौकरी छोड़ दी और राजनीति में शामिल होकर देश और समाज के लिए कुछ करने का दृढ़निश्चय कर लिया। इसी साल भारतीय जन संघ ने उन्हें नौरंगिया विधानसभा से टिकट दिया और वो यह सीट जीत गए। 1977 में भुलई भाई दोबारा विधायक बने। भगवा गमछा हमेश भुलई भाई की पहचान रहा। जो उनके गले में रहता था।