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दिल्ली की सत्ता पर 27 वर्षों बाद भाजपा की वापसी, AAP का 10 वर्षों का शासन खत्म

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नई दिल्ली, 8 फरवरी। एक दशक से भी अधिक समय पूर्व शहरी भारत में व्याप्त भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से जन्मी आम आदमी पार्टी का राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 10 वर्षों से जारी शासन का अंत हो गया है जबकि भारतीय जनता पार्टी की 27 वर्षों बाद सत्ता पर वापसी हो रही है।

भाजपा को 48 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत, AAP 22 सीटें पा सकी

गत पांच फरवरी को दिल्ली की सभी 70 विधानसभा सीटों पर कराए गए मतदान के बाद आज मतगणना शुरू होने के कुछ घंटों में ही स्थिति साफ हो गई। भाजपा ने 48 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत हासिल कर लिया है जबकि अरविंद केजरीवाल व मनीष सिसोदिया सहित कई दिग्गजों की हार के बीच AAP सिर्फ 22 सीटें हासिल कर सकीं। हालांकि मौजूदा सीएम आतिशी अपनी कालकाजी सीट बचाने में सफल रहीं। वहीं चुनावी मुकाबले को त्रिकोणीय संघर्ष का रूप देने की कोशिश में लगी कांग्रेस लगातार तीसरी बार खाता खोलने में असफल रही।

उल्लेखनीय है कि 2013 में ‘आप’ ने राष्ट्रीय राजनीति में नाटकीय प्रवेश किया, विधानसभा चुनावों में 28 सीटें जीतीं और तीन बार की कांग्रेसी मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के कार्यकाल को समाप्त किया, जिन्हें तेजी से बुनियादी ढांचे के विकास के माध्यम से दिल्ली को पुनर्जीवित करने का श्रेय दिया गया था। अगले दशक में, यह लगातार मजबूत होता गया।

भाजपा को इस सहस्राब्दी में पहली बार शासन करने का अवसर मिलेगा

हालांकि, शनिवार का फैसला संकेत देता है कि राजधानी एक नया पन्ना खोलने के लिए तैयार है, जिससे भाजपा को इस सहस्राब्दी में पहली बार शासन करने का अवसर मिलेगा। एक ऐसा समय जब शहर का विकास हुआ है, साथ ही इसे दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी का संदिग्ध गौरव भी मिला है।

भाजपा ने इस चुनाव में ‘आप’ के 43.52 प्रतिशत की तुलना में 46.24 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किया है। 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में ‘आप’ ने 53.37 प्रतिशत वोटों के साथ 62 सीटें जीतीं जबकि भाजपा 38.51 प्रतिशत वोट शेयर के साथ आठ सीटें जीतने में सफल रही थी। वहीं 2015 में ‘आप’ ने 67 सीटें और 54.3 प्रतिशत वोट जीते, जबकि भाजपा की संख्या घटकर तीन और वोट शेयर 32.2 प्रतिशत रह गया।

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