बेंगलुरु, 1 जून। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम लिमिटेड से जुड़े अवैध धनराशि अंतरण मामले की विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा जांच को खारिज कर दिया है तथा मांग की है कि यह हमला केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपा जाए।
पार्टी ने इस मामले में अनुसूचित जनजाति मंत्री बी नागेंद्र के खिलाफ लगे आरोपों को लेकर उनकी तत्काल बर्खास्तगी की भी मांग की। राज्य सरकार ने इस मामले की जांच कराने के लिए शुक्रवार को अपराध जांच विभाग के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (आर्थिक अपराध) मनीष खारबिकर के नेतृत्व में चार सदस्यीय एक एसआईटी टीम बनायी थी।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘ मैं पारदर्शिता की खातिर तथा असली अपराधियों के वास्ते कानून मुताबिक दंड सुनिश्चित कराने के लिए सीबीआई जांच की जोरदार मांग करता हूं और एसआईटी जांच को खारिज करता हूं। हम आरोपी मंत्री बी नागेंद्र को मंत्रिमंडल से तत्काल बर्खास्त करने की भी मांग करते हैं।’’
अवैध धनराशि अंतरण मामला निगम के लेखा अधीक्षक चंद्रशेखर पी द्वारा 26 मई को आत्महत्या कर लिये जाने के बाद सामने आया। चंद्रशेखर ने मरने से पहले एक नोट लिखा था। नोट में खुलासा किया गया है कि निगम के बैंक खाते से 187 करोड़ रुपये का अनधिकृत अंतरण किया गया तथा उसमें से 88.62 करोड़ रुपये ‘जानी-पहचानी’ आईटी कंपनियों एवं हैदराबाद के एक सहकारी बैंक के खातों में अवैध तरीके से डाले गये।
चंद्रशेखर ने नोट में निगम के अब निलंबित प्रबंध निदेशक जे एच पद्मनाभ, लेखा अधिकारी परशुराम जी दुरूगन्नवार, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की मुख्य प्रबंधक सुचिस्मिता रावल के नामों का उल्लेख किया है। उन्होंने नोट में कहा है कि ‘‘मंत्री’’ ने धनराशि अंतरण का मौखिक आदेश दिया था।
कर्नाटक की कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए विजयेंद्र ने सवाल किया , ‘‘ क्या सिद्धरमैया सरकार इस सरकार में होने वाले भ्रष्टाचार के प्रतिशत के आकलन एवं उसपर स्पष्टीकरण की परवाह करती है? मंजूर धनराशि 187 करोड़ रुपये में से 87 करोड़ रुपये– बिल्कुल आधा? महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम के मृत कर्मी द्वारा उजागर किया गया व्यापक भ्रष्टाचार ‘इस भयंकर समस्या का एक महज छोटा सा अंश’ है।’’