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भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा – राम सेतु तो ताजमहल से भी पुरानी मोहब्बत की निशानी है

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नई दिल्ली, 25 जुलाई। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने राम सेतु को ताजमहल से पुरानी मोहब्बत की निशानी बताया है। भाजपा सासंद का मानना है कि जिस तरह मुगल बादशाह शाहजहां ने ताजमहल मुमताज की मोहब्बत में बनवाया, ठीक उसी तरह ताजमहल बनने से सदियों पहले प्रभु श्रीराम ने माता सीता के प्रेम में राम सेतु का निर्माण कराया था।

प्रभु श्रीराम ने माता सीता के प्रेम में राम सेतु का निर्माण कराया था

82 वर्षीय सुब्रमण्यम स्वामी ने एक ट्वीट करते हुए रामसेतु की अलग तरह से एक नई व्याख्या की है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, ‘मेरे एक परिचित नवविवाहित जोड़े ने ताजमहल घूमने के बाद मुझसे मुलाकात की और जब हम बातचीत कर रहे थे उन्होंने मुझसे पूछा कि मैं राम सेतु को पुन: स्थापित करने के लिए क्यों बल दे रहा हूं। तब मैंने उनसे कहा कि राम सेतु तो ताजमहल से भी ज्यादा पुरानी मोहब्बत की कहानी है। मैंने उनसे पूछा कि वे पहले राम सेतु क्यों नहीं गए?’

ख्यातिनाम अर्थशास्त्री, सांख्यिकीविद और राजनेता सुब्रमण्यम स्वामी पिछले कई वर्षों से राम सेतु को भारत की ऐतिहासिक और पुरातात्विक स्मारक घोषित करवाने की मुहिम चला रहे हैं और इसके लिए वह सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटा चुके हैं।

राम सेतु को एडम्स ब्रिज के तौर पर भी जाना जाता है

गौरतलब है कि राम सेतु को एडम्स ब्रिज के तौर पर भी जाना जाता है। यह तमिलनाडु के दक्षिणपूर्वी तट पर पंबन द्वीप और श्रीलंका के उत्तर-पश्चिमी तट पर मन्नार द्वीप के बीच चूना पत्थर की एक श्रृंखला है। पंबन द्वीप को रामेश्वरम द्वीप के नाम से भी जाना जाता है।

राम सेतु का मामला पहली बार तब चर्चा में आया था, जब मनमोहन सिंह की पहली यूपीए सरकार में सुब्रमण्यम स्वामी ने सेतुसमुद्रम शिप चैनल परियोजना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर करते हुए राम सेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने का मुद्दा उठाया था। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2007 में राम सेतु परियोजना पर हो रहे काम पर रोक लगा दी थी। उसके बाद से ही यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है और सुब्रमण्यम स्वामी काफी मुखर होकर राम सेतु की पैरवी कर रहे हैं।