पटना, 9 जनवरी। बिहार की राजनीति में रविवार को उस वक्त हलचल मच गई, जब नरकटियागंज से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की विधायक रश्मि वर्मा ने निजी कारणों का हवाला देते हुए विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने बिहार विधानसभा अध्यक्ष को भेजे त्यागपत्र में लिखा है कि वह निजी कारणों से विधायक पद से इस्तीफा दे रही हैं।
बिहार विधानसभा अध्यक्ष को भेजे त्यागपत्र में दिया निजी कारणों का हवाला
हालांकि, रश्मि वर्मा के इस्तीफे में निजी कारणों पर कुछ भी स्पष्ट नहीं है, लेकिन इसके भी सियासी मायने निकाले जा रहे हैं और चर्चा यह भी है कि विधायक ने भ्रष्टाचार से त्रस्त होकर इस्तीफा दिया है। खैर, जो कुछ भी हो, रश्मि वर्मा का इस्तीफा भाजपा के लिए आघात माना जा रहा है और सत्ताधारी दल के विधायक के इस्तीफे की खबर से राजनीतिक गलियारे में हड़कंप मच गया है। हालांकि भाजपा इस मुद्दे पर बोलने से परहेज कर रही है।
प्रशासनिक स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार से परेशान थीं रश्मि
भाजपा विधायक के करीबियों की मानें तो वह क्षेत्र की समस्या को लेकर काफी परेशान थीं। प्रशासनिक स्तर पर विधायक की बात पर कोई सुनवाई नहीं हो रही थी। क्षेत्र में घूसखोरी चरम पर है। सरकार को पत्र लिखने के बाद भी ग्रामीण कार्य विभाग के इंजीनियरों को हटाया नहीं जा रहा था। चीनी मिल किसानों की समस्या का समाधान नहीं हो रहा था।
राजघराने से संबंधित रश्मि का लम्बा राजनीतिक करिअर रहा है
बताया जाता है कि रश्मि वर्मा ने नीतीश सरकार में अफसरशाही व भ्रष्टाचार से त्रस्त होकर इस्तीफा देने की घोषणा की है। विधायक व उनके समर्थकों पर हाल के दिनों में कुछेक मुकदमे भी लादे गए हैं। एक व्यक्ति विशेष के दबाव की भी त्याग पत्र देने की चर्चा है। गौरतलब है कि रश्मि वर्मा एक राजघराने से संबंधित रही हैं और उनका लम्बा राजनीतिक करिअर रहा है।
रश्मि 2014 में रातों-रात जदयू से भाजपा में गईं और भाजपा के टिकट पर उपचुनाव में नौ माह के लिए विधायक बनीं थीं। हालांकि 2015 के चुनाव में भाजपा ने टिकट नहीं दिया तो निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर गईं। रश्मि के कारण ही नरकटियागंज विधानसभा का चुनाव त्रिकोणात्मक हो गया था, तब रश्मि वर्मा के जेठ विनय वर्मा कांग्रेस के टिकट पर यहां से चुनाव जीते थे। फिलहाल, पिछले विधानसभा चुनाव में रश्मि ने भाजपा के टिकट पर चुनाव जीता था।