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भाजपा का नया आरोप – अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली जल बोर्ड में किया 500 करोड़ का घोटाला, CBI से भी शिकायत

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नई दिल्ली, 27 नवम्बर। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने दिल्ली में कथित शराब घोटाले को लेकर घिरी आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के खिलाफ एक और मोर्चा खोल दिया है। इस क्रम में भाजपा ने दिल्ली जल बोर्ड में 500 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर हमलावर रुख अख्तियार कर लिया है। दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने एलजी वीके सक्सेना के अलावा केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को पत्र लिखकर शिकायत की है और मामले की जांच की मांग कर दी है।

दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने एलजी और सीबीआई को लिखे पत्र

भाजपा का दावा है कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (एसटीपी) को अपग्रेड करने के कामकाज में गड़बड़ी हुई है, जिसे ‘आप’ सरकार के अधीन आने वाले दिल्ली जल बोर्ड ने अंजाम दिया। दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने एलजी और सीबीआई को लिखे पत्र में टेंडर प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं।

सूत्रों के अनुसार सचदेवा ने पत्र में लिखा है, ‘सिंगल कोटेशन के आधार पर एक कंस्लटेंट ने एस्टीमेट तैयार किया। बाजार मूल्य से अधिक का एस्टीमेट तैयार किया गया।’ सचदेवा ने एलजी से ठेकों को रद करने और सीबीआई से जांच कराने की मांग की है। भाजपा का कहना है कि 10 एसटीपी को अपग्रेड करने की अनुमानित लागत 1508 करोड़ रुपये थी जबकि 1938 करोड़ रुपये का ठेका दिया गया।

भाजपा के प्रवक्ता गौरव भाटिया ने भी सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि 10 एसटीपी को अपग्रेड करना था, जिसमें पांच का क्षमता विस्तार भी करना था। लेकिन डीपीआर केवल 2 का ही बनाया गया। उन्होंने यह भी कहा कि एल-1 की बोली 392 करोड़ की लगाई थी, लेकिन इसे कम करने की बजाय बढ़ाकर 408 करोड़ रुपए कर दिया गया। अनुमानित लागत से अधिक पैसे सरकार ने दिए ताकि उसे इसमें कमीशन मिले।

AAP ने अफसरों पर फोड़ा ठीकरा, कहा – मंत्रालय का कुछ भी लेना देना नहीं

वहीं आम आदमी पार्टी ने एक बयान जारी कर कथित गड़बड़ी का ठीकरा अफसरों पर फोड़ा है। पार्टी की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, ‘भाजपा आरोप लगा रही है कि कुछ अधिकारियों ने दिल्ली जल बोर्ड में टेंडर नियमों का उल्लंघन किया। दिल्ली सरकार शिकायत के आधार पर पहले ही दिल्ली जल बोर्ड और वित्त विभाग से कहा है कि दोषी अधिकारियों की पहचान की जाए, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से अब तक कोई एक्शन नहीं लिया गया।’

बयान में मंत्री को पूरी प्रक्रिया से अलग बताते हुए कहा गया, ‘टेंडर प्रक्रिया में मंत्री की कोई भूमिका नहीं होती है, इसे संबंधित अधिकारी अंजाम देते हैं। यह सब जानते हैं कि जीएनसीटीडी एक्ट चुनी हुई सरकार को एक्शन लेने का अधिकार नहीं देता है। लेकिन यदि कुछ गड़बड़ी हुई है तो हम एलजी से अपील करेंगे कि वह सख्त एक्शन लें।

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