नई दिल्ली, 24 फरवरी। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में शुक्रवार को स्थायी समिति के चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी (आप) के एक पार्षद पवन सहरावत को तोड़ लिया। इसके साथ ही स्थायी समिति के चुनाव में ‘आप’ का समीकरण भी गड़बड़ हो गया और इसका सीधा फायदा भाजपा को मिलता दिखाई दे रहा है।
बवाना से पार्षद सहरावत ‘आप‘ में घुटन महसूस कर रहे थे
बवाना से पार्षद सहरावत ने भाजपा में शामिल होने के साथ आरोप भी लगाए कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी में ‘भ्रष्टाचार’ की वजह से उन्हें ‘घुटन’ महसूस हो रही थी। सहरावत ने यह भी आरोप लगाया कि वह ‘आप’ पार्षदों को एमसीडी सदन की बैठक में ‘हंगामा करने का निर्देश’ दिए जाने से व्यथित थे।
‘आप‘ पार्षद के पार्टी बदलने से भाजपा को बड़ा फायदा
सहरावत के ‘आप’ छोड़ भाजपा में शामिल होने के साथ ही भगवा पार्टी को एक बड़ा फायदा होता नजर आ रहा है। दरअसल, माना जा रहा है कि भाजपा ने एमसीडी के स्टैंडिंग कमिटी में अपने तीन उम्मीदवारों के जिताने के लिए वोटों का जुगाड़ भी कर दिया है। भाजपा को स्थायी समिति के लिए अपने तीन उम्मीदवारों को जिताने के लिए 105 पार्षदों की जरूरत थी जबकि अब तक उसके पास 104 पार्षद ही थे।
एमसीडी स्थायी समिति के लिए वोटों का गणित
स्थायी समिति में कुल छह सदस्यों का चुनाव किया जाना है और सात उम्मीदवार मैदान में है। ‘आप’ ने अपने चार उम्मीदवार उतारे हैं जबकि भाजपा की तरफ से तीन पार्षद मैदान में है। एमसीडी एक्ट के अनुसार एक प्रत्याशी को 35 वोट मिलने के बाद वह स्थायी समिति के लिए निर्वाचित हो जाएगा।
ऐसे में अगर भाजपा को अपने तीनों उम्मीदवारों को जिताने के लिए 105 वोटों की जरूरत है। उसके 104 पार्षद थे, लेकिन सहरावत के शामिल होने से उसकी कुल संख्या 105 हो गई है। वहीं, बात ‘आप’ की करें तो उसके तीन सदस्यों की भी जीत पक्की है। हालांकि, चौथे उम्मीदवारों की जीत के लिए उसे अब छह वोट और चाहिए।
गौरतलब है कि पिछले वर्ष सात दिसम्बर को घोषित एमसीडी चुनाव के नतीजों के तहत ‘आप’ ने 250 वार्डों में से 134 में जीत दर्ज कर नगर निकाय में भाजपा के 15 वर्षों के शासन का अंत कर दिया था। अब हालांकि सहरावत के पार्टी बदलने से ‘आप’ के पार्षदों की संख्या घटकर 133 रह गई है।
एमसीडी सदन में हुई थी झड़प और जबर्दस्त नारेबाजी
गौरतलब है कि बुधवार को ‘आप’ नेता शैली ओबेरॉय को दिल्ली का नया मेयर चुने जाने के कुछ ही घंटों बाद एमसीडी के निर्णय लेने वाले सर्वोच्च निकाय – स्थायी समिति के सदस्यों के चुनाव कराने के लिए सदन की कार्यवाही बुधवार शाम सवा छह बजे शुरू हुई थी, लेकिन इस दौरान भाजपा सदस्यों के कड़े विरोध, ‘हाई-वोल्टेज’ ड्रामा, नारेबाजी और 12 से अधिक बार स्थगन के बाद महापौर ने इसे गुरुवार सुबह दिनभर के लिए स्थगित कर दिया गया था।