नई दिल्ली, 30 नवम्बर। बिलकिस बानो ने सामूहिक बलात्कार और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या करने वाले 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इस क्रम में बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट के मई के उस आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की, जिसमें गुजरात सरकार को 1992 की छूट नीति लागू करने की अनुमति दी गई थी।
बिलकिस बानो के वकील ने लिस्टिंग के लिए भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़ के समक्ष मामले का उल्लेख किया। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि वह इस मुद्दे की जांच करेंगे कि क्या दोनों याचिकाओं को एक साथ सुना जा सकता है और क्या उन्हें एक ही बेंच के सामने सुना जा सकता है।
गौरतलब है कि बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या के लिए 2008 में 11 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। लेकिन इस वर्ष 15 अगस्त को गुजरात सरकार ने अपनी छूट नीति का पालन करते हुए उन्हें रिहा कर दिया। ऐसे में इस फैसले से देशभर में आक्रोश फैल गया जबकि राज्य सरकार ने रिहाई का बचाव किया। यही नहीं, गुजरात सरकार पर लगातार विपक्ष भी निशाना साध रहा है।
दिलचस्प तथ्य यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस के भाषण के दौरान लाल किले की प्राचीर से महिला सशक्तिकरण के बारे में बोलने के 15 घंटे बाद बलात्कार और हत्या के 11 दोषियों को रिहा किया गया था। 2002 के गुजरात सांप्रदायिक दंगों के दौरान बिलकिस बानो का बलात्कार किया गया था और उनकी बेटी सहित उनके परिवार के कई सदस्य मारे गए थे।