मुजफ्फरपुर, 8 जुलाई। दो वर्ष नौ माह की सैलरी में मिले 23 लाख रुपये कॉलेज प्रशासन को लौटाने की पेशकश कर अचानक सुर्खियों में आए बिहार के एक असिस्टेंट प्रोफेसर ललन कुमार अब अपनी अजीबो-गरीब हरकतों से खुद ही फंसते नजर आ रहे हैं।
ट्रांसफर न होने से दुखी होकर सैलरी लौटाने का बयान दिया था
बाबा साहब भीमराव आंबेडकर बिहार यूनिवर्सिटी के नीतीश्वर सिंह कॉलेज में कार्यरत प्रोफेसर ललन कुमार ने इस दलील के साथ कॉलेज प्रशासन को सैलरी के 23 लाख रुपये लौटाने की पेशशक की थी कि कॉलेज में छात्र पढ़ने ही नहीं आते, इसलिए वह सैलरी लेने के हकदार नहीं है। लेकिन अब वह अपने बयान से पलट गए हैं और उनका कहना है कि ट्रांसफर न होने से दुखी होकर नाराजगी में ऐसा बयान दिया था। उनका कहना है कि कॉलेज में छात्रों की अनुपस्थिति की बात भी गलत है। हैरानी की बात यह है कि 23 लाख का चेक काटने वाले ललन कुमार के बैंक अकाउंट में एक हजार से भी कम बैलेंस है।
पहले कहा जा रहा था कि प्रोफेसर एमए के छात्रों को पढ़ाना चाहते हैं, लेकिन कक्षा में छात्र आते ही नहीं, उनकी पढ़ाई बेकार जा रही है। इसी बयान के साथ प्रो. ललन कुमार ने बीते मंगलवार को विश्वविद्यालय के कुल सचिव को आवेदन के साथ-साथ दो वर्ष नौ माह के वेतन की राशि करीब 23 लाख का चेक दिया था, जिसकी काफी चर्चा हो रही थी।
‘भावावेश में आकर भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर सका‘
प्रो. ललन कुमार ने अब कुल सचिव और प्राचार्य को लिखित आवेदन दिया है, जिसमें स्पष्ट लिखा है कि छह बार आवेदन दिया था, लेकिन अब तक उस पर कोई सुनवाई नहीं हुई, इसलिए वह दुखी थे। उन्होंने आवेदन में लिखा है, ‘कुछ निर्णय करने की स्थिति में नहीं था। भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर सका और भावावेश में आकर आवेदन के साथ अपने समूचे वेतन की राशि का चेक प्रस्तुत किया। वरिष्ठ लोगों द्वारा समझाने पर समझ में आ गया कि मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था।
कॉलेज प्रबंधन हुआ सख्त
इस बीच नीतीश्वर कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर मनोज कुमार ने कहा कि कॉलेज में छात्रों के नहीं आने की बात बिल्कुल गलत है. उन्होंने ट्रांसफर को लेकर इस तरह की बात कही है, लिखित रूप से स्वीकार किया है। अब विश्वविद्यालय अपने स्तर से मामले को देख रहा है। इस तरह का कार्य सही नहीं है।