लखनऊ, 7 अक्टूबर। बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उत्तर प्रदेश के दिग्गज नेताओं को प्रचार के लिए उतार दिया है। कुछ दिनों पहले उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को बिहार चुनाव का सह प्रभारी बनाया गया था जबकि अब पार्टी ने कैबिनेट मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह, पूर्व मंत्री उपेंद्र तिवारी, पूर्व मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह समेत कई दिग्गजों को प्रचार का जिम्मा सौंपा है।
प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री एवं दरभंगा लोकसभा के प्रवासी प्रभारी उपेंद्र तिवारी ने कहा, ” बिहार की जनता केंद्र और राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं से लाभान्वित हो रही है। कार्यकर्ताओं का कर्तव्य है कि वे इन उपलब्धियों को घर-घर तक पहुंचाएं। भाजपा की विजय सुनिश्चित करें। दरभंगा नगर विधानसभा सीट पर हम लगातार चुनाव जीत रहे हैं। पूरी उम्मीद है कि इस बार भी प्रचंड बहुमत के साथ यह सीट भाजपा एवं एनडीए जीतेगी।”
प्रशांत किशोर को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में तिवारी ने कहा कि प्रशांत किशोर की चर्चा केवल मीडिया में है। जमीन पर उनका कोई अस्तित्व नहीं है। बिहार की जनता का विश्वास पहले भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पर था और अभी भी है। पीएम मोदी ने जिस तरह से बिहार के विकास के लिए कदम उठाए हैं उससे बिहार को दशा और दिशा बदली है। प्रशांत किशोर जैसे लोग केवल आरोप लगाने का काम करते हैं।
पार्टी ने स्वतंत्रदेव सिंह को भी चुनाव में लगाया गया है वहीं सहयोगी जदयू नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विकासात्मक पहलों को आगे बढ़ाने का काम सिद्धार्थनाथ सिंह को सौंपा गया है। सिद्धार्थनाथ को बिहार में भाजपा के सोशल मीडिया अभियान को आगे बढ़ाने की अतिरिक्त ज़िम्मेदारी दी गई है।
सिंह ने बताया कि वह राज्य नेतृत्व के साथ मिलकर काम करेंगे ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि पार्टी द्वारा तय किए गए चुनावी मुद्दे राज्य के हर कोने तक पहुंचें। सूत्रों ने बताया कि पार्टी ने अभियान को गति देने के लिए भागलपुर और मुजफ्फरपुर में विशेष सोशल मीडिया केंद्र स्थापित करने की योजना बनाई है।
सिंह ने कहा कि पार्टी पीके पर कोई ध्यान देने के मूड में नहीं है, जो मूल रूप से “आरोप लगाकर भाग जाओ” की रणनीति से प्रेरित हैं। भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि भाजपा इस तथ्य से अच्छी तरह वाकिफ है कि किशोर जिन्हें ‘पीके’ के नाम से जाना जाता है अपेक्षाकृत साफ-सुथरी छवि रखते हैं। वह बिहार के चुनावी समीकरणों में एक सीरियस प्लेयर के तौर पर सामने आ सकते हैं।
एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा, “पार्टी पीके को बिहार का अरविंद केजरीवाल बनाने का जोखिम नहीं उठा सकती।” किशोर अपने चुनाव अभियान का केंद्र शराबबंदी का विरोध और बिहार में 50 लाख प्रवासी मजदूरों के पुनर्वास के मुद्दे पर फोकस कर रहे हैं। किशोर बिहार के लोगों से अपने बच्चों के भविष्य, उनकी शिक्षा और आजीविका के लिए वोट करने का आग्रह कर रहे हैं।

