पटना, 12 जनवरी। बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर द्वारा नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के 15वें दीक्षांत समारोह में धार्मिक ग्रंथ रामचरितमानस पर की गई टिप्पणी से विवाद पैदा हो गया है। चंद्रशेखर ने रामचरितमानस को नफरत फैलाने वाला ग्रंथ बताया था। मंत्री की टिप्पणी पर नाराजगी जाहिर करते हुए अयोध्या को संत परमहंस आचार्य ने उनसे माफी की मांग की है और ऐसा न करने पर मंत्री की जीभ काटने वाले को 10 करोड़ ईनाम देने की घोषणा की।
‘हम उस राम के भक्त नहीं, जो शंबूक का वध करे‘
फिलहाल बिहार के शिक्षा मंत्री अपने बयान पर अडिग हैं। चंद्रशेखर ने विवाद पर तर्क देते हुए कहा, ‘अमेरिका ने जिस शख्स को ज्ञान का प्रतीक कहा – भीमराव अंबेडकर, उन्होंने मनुस्मृति क्यों जलाई? हम उस राम के भक्त हैं, जो शबरी के जूठे बेर खाते हैं। उसके नहीं, जो शंबूक का वध करे…।’ बकौल मंत्री – ‘मेरी जीभ काटने पर फतवा दिया है। हमारे पुरखे जीभ कटवाते रहे हैं, इसलिए हम बयान पर अडिग हैं।’
‘मनुस्मृति, रामचरितमानस… ये सब नफरत फैलाने वाले ग्रंथ‘
चंद्रशेखर ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि मनुस्मृति को क्यों जलाया गया क्योंकि उसमें एक बड़े तबके के खिलाफ अनेको गालियां दी गई। रामचरितमानस का क्यों प्रतिरोध हुआ और किस अंश का प्रतिरोध हुआ? मंत्री ने कहा कि मनुस्मृति, रामचरितमानस, गुरु गोलवलकर के बंच ऑफ थॉट्स… ये सब नफरत फैलाने वाले ग्रंथ हैं। उन्होंने कहा कि नफरत देश को महान नहीं बनाएगा, देश को मोहब्बत महान बनाएगा।
वहीं अयोध्या के संत परमहंस ने कहा कि इस तरह की टिप्पणी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा, ‘रामचरितमानस तोड़ने वाला नहीं बल्कि जोड़ने वाला ग्रंध है। यह मानवता की स्थापना करने वाला ग्रंथ है। यह हमारे देश का गौरव है।’