पटना, 9 अगस्त। बिहार में सत्तारूढ़ सरकार के प्ररमुख गठबंधन दलों – जनता दल यूनाइटेड (जदयू) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच पिछले कुछ माह से जारी कटुता का मंगलवार को पटाक्षेप हो गया, जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्यपाल फागू चौहान से मुलाकात की और उन्हें अपना इस्तीफा सौंप दिया। इसके साथ ही नीतीश कुमार ने एक बार फिर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस की अगुआई वाले महागठबंधन के साथ मिलकर नई सरकार बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। इसी क्रम में इस्तीफा देने के तत्काल बाद वह राजद प्रमुख लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी के आवास पहुंचे।
160 विधायकों के समर्थन का दावा, भाजपा से एक नहीं कई दिक्कतें थीं
यहीं नहीं वरन नीतीश कुमार ने 160 विधायकों के समर्थन का दावा किया है। राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपने के बाद नीतीश कुमार ने मीडिया से संक्षिप्त बातचीत में कहा कि उन्होंने एनडीए सरकार में मिले मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्हें बीजेपी के साथ एक नहीं कई दिक्कतें थीं। उनके नेता बाद में सबकुछ विस्तार से बता देंगे। उन्होंने यह भी कहा, ‘सभी सांसद और विधायक आम सहमति पर हैं कि हमें एनडीए छोड़ देना चाहिए। विधायकों और सांसदों की सहमति के बाद यह फैसला लिया गया।’
उल्लेखनीय है कि 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में भाजपा के पास 77, जदयू के पास 45, कांग्रेस के 19, सीपीआईएमएल (एल) के नेतृत्व वाले वाम दलों के पास 16 और राजद के पास 79 सीटें हैं। नई सरकार को बहुमत हासिल करने के लिए 122 विधायकों की जरूरत पड़ेगी।
8 वर्षों में दूसरी बार भाजपा ने नाता तोड़ा
देखा जाए तो नीतीश कुमार ने आठ वर्षों में दूसरी बार अपने सहयोगी भाजपा से नाता तोड़ा है। वह वर्ष 2017 में राजद और कांग्रेस का साथ छोड़कर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में लौट आए थे और 2020 में एनडीए की सरकार बनी थी। भाजपा के साथ तीन बार सरकार बनाने वाले नीतीश कुमार वर्ष 2014 में राजग को छोड़ राजद व कांग्रेस के नए महागठबंधन सरकार में शामिल हो गए थे।
सोनिया-राहुल से मिल सकते हैं नीतीश
इस बीच सूत्रों का कहना है कि नीतीश कुमार दिल्ली जाकर कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी से भी मुलाकात कर सकते हैं। कांग्रेस खेमे से ऐसी खबर आई है कि नई सरकार पर मंथन करने के बाद नीतीश दिल्ली जा सकते हैं। नई सरकार में कांग्रेस खुद के लिए स्पीकर के साथ-साथ तीन से चार मंत्री पद मांग रही है।
बिहार से निकला बीजेपी भगाओ नारा – अखिलेश यादव
खैर, बिहार में तेजी से बदलते राजनीतिक घटनाक्रम प्रतिक्रियाएं भी आने लगी हैं। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, ‘ये एक अच्छी शुरुआत है। आज ही के दिन नारा दिया गया था अंग्रेजों भारत छोड़ो। आज नारा दिया जा रहा है बीजेपी भगाओ। मुझे उम्मीद है कि अब दूसरी पार्टियां भी बीजेपी के खिलाफ खड़ी होंगी।’
उपेंद्र कुशवाहा ने ‘नए तरीके के नए गठगंधन’ की अगुआई पर नीतीश को बधाई दी
वहीं वरिष्ठ नेता उपेंद्र कुश्वाहा ने एक ट्वीट करके नीतीश कुमार को ‘नए तरीके के नए गठगंधन’ की अगुवाई करने के लिए बधाई दी है। इस ट्वीट से गंठबंधन टूटने और राजद नीत ‘महागठबंधन’ को अपनाने संबंधी बातों को बल मिला है।
चिराग पासवान ने राज्य में राष्ट्रपति शासन की मांग उठाई
इसके विपरीत लोजपा नेता चिराग पासवान (रामविलास गुट) ने कहा, ‘आज नीतीश कुमार की साख शून्य है। हम चाहते हैं कि बिहार में राष्ट्रपति शासन लागू हो और राज्य को नए सिरे से जनादेश देना चाहिए। आपकी (नीतीश कुमार) कोई विचारधारा है या नहीं? अगले चुनाव में जदयू को मिलेगी 0 सीटें है।’
केंद्रीय मंत्री आरके सिंह बोले – सब सत्ता के लिए राजनीति है, इसमें कोई नैतिकता नहीं
दूसरी ओर केंद्रीय मंत्री आरके सिंह ने कहा कि राजद के 15 साल के शासन ने राज्य को पीछे ले लिया, सीएम नीतीश कुमार ने भी कई बार ऐसा कहा। वह राजद के साथ गठबंधन में जाने को कैसे जायज ठहराएंगे, जिसे उन्होंने भ्रष्ट बताया है? यह सब सत्ता के लिए राजनीति है, इसमें कोई नैतिकता नहीं है और उन्हें शर्म आनी चाहिए।