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बिहार में ओडिशा जैसा प्रयोग : सीएम नीतीश कुमार ने पूर्व IAS मनीष वर्मा को जदयू का राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया

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पटना, 11 जुलाई। बिहार की राजनीति में गुरुवार को ओडिशा जैसा प्रयोग देखने को मिला, जब सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड (JDU) के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूर्व आईएएस और अपने सलाहकार रहे मनीष वर्मा को जनता दल यूनाइटेड (JDU) का राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त कर दिया।

दिलचस्प तो यह रहा कि राजनीतिक पारी शुरू करने के दो दिन बाद ही मनीष वर्मा को पार्टी में यह बड़ा ओहदा दे दिया गया। गत नौ जुलाई को ही जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय कुुमार झा और प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा की मौजूदगी में मनीष वर्मा को पार्टी की सदस्यता दिलाई गई थी।

ओडिशा में नवीन पटनायक ने वीके पांडियन को बनाया था 5टी का सचिव

गौरतलब है कि ओडिशा में लगभग ढाई दशक तक सत्ता में रहे पूर्व मुख्यमंत्री व बीजू जनता दल (BJD) प्रमुख नवीन पटनायक ने अति विश्वासपात्र तत्कालीन आईएएस वीके पांडियन को न सिर्फ अपना निजी सचिव बनाया था, वरन राज्य में लगातार पांचवी बार सरकार बनाने के उन्होंने 5टी योजना लॉन्च की और पांडियन को इसका सचिव बना दिया  था।

पांडियन ने बीते चुनाव में BJD की करारी हार के बाद राजनीति छोड़ दी

पिछले वर्ष वीआरएस लेने वाले ओडिशा कैडर के आईएएस पांडियन को नवीन पटनायक के उत्तराधिकारी के तौर पर भी देखा जाने लगा था। फिलहाल विपक्ष ने पिछले कुछ वर्षों से पांडियन की घेरेबंदी भी शुरू कर दी थी। अंततः ओडिशा में लोकसभा और विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ़ BJD की करारी हार के बाद पटनायक के करीबी सहयोगी पांडियन ने राजनीति से संन्यास की ही घोषणा कर दी।

मनीष वर्मा बोले – जदयू में असली समाजवाद जिंदा है, बाकी में परिवारवाद हावी

खैर, अब बिहार में देखने वाली बात होगी कि नीतीश कुमार का यह प्रयोह JDU को कितना फायदा पहुंचाता है। मनीष वर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार को अंधकार से निकालकर प्रकाश में लाए हैं। एक-एक क्षण बिहार और यहां के लोगों के विकास के बारे में सोचते हैं। जदयू में असली समाजवाद जिंदा है। बाकी में परिवारवाद हावी है।’

नीतीश कुमार के सलाहकार भी रह चुके हैं मनीष वर्मा

उल्लेखनीय है कि ओडिशा कैडर के आईएस मनीष वर्मा सीएम नीतीश कुमार के सलाहकार भी रह चुके हैं और नीतीश के करीबियों में उनकी गिनती होती है। उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा से वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृति) ली थी। इसके बाद वह नीतीश के एडवाइजर बने थे। जेडीयू में शामिल होने से पहले बिहार आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य थे।

मनीष वर्मा के करिअर पर एक नजर

बिहार के नालंदा जिले के रहने वाले मनीष वर्मा के पिता डॉ अशोक वर्मा बिहारशरीफ के एक बड़े डॉक्टर के रूप में जाने जाते रहे। वर्मा की प्राथमिक शिक्षा बिहारशरीफ के एक सरकारी स्कूल से हुई। आईआईटी, दिल्ली से सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक पूरा करने से पहले उन्होंने पटना के एक स्कूल में भी पढ़ाई की। 2000 में यूपीएससी में सफलता हासिल करने से पहले वर्मा ने इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन के साथ भी काम किया है।

मनीष वर्मा की पहली पोस्टिंग कालाहांडी में हुई और फिर वह ओडिशा के गुनुपुर, रायगरा में सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) बने। बिहार में प्रतिनियुक्ति पर भेजे जाने से पहले वह 12 वर्षों तक ओडिशा में थे। बिहार में वह पटना और पूर्णिया के जिलाधिकारी भी रह चुके हैं। वह 2016 से 2021 तक मुख्यमंत्री के सचिव के रूप में भी तैनात थे। बिहार में उनकी प्रतिनियुक्ति समाप्त होने के बाद वर्मा ने ओडिशा नहीं लौटने का फैसला किया और 2021 में प्रशासनिक सेवा से वीआरएस ले लिया।

देखा जाए तो बिहार में विधानसभा चुनाव के पहले जेडीयू में कई बड़े बदलाव हुए हैं। इस कड़ी में सबसे बड़ी जिम्मेदारी संजय झा को मिली है, जिन्हें पिछले माह ही जेडीयू का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। अब नीतीश कुमार के सलाहकार रहे और पूर्व आईएएस मनीष वर्मा को पार्टी में राष्ट्रीय महासचिव का पद सौंप दिया गया।