पटना, 14 जून। बिहार में दलित राजनीति के प्रेरक रहे दिवंगत रामविलास पासवान द्वारा गठित लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) की विरासत उनके पुत्र चिराग पासवान से नहीं संभली और रविवार को उसमें बड़ी फूट देखने को मिली, जब खुद चिराग के चाचा पशुपति पारस पासवान सहित पांच सांसदों ने एलजेपी से अलग होने का फैसला कर लिया। पार्टी से अलग होने वाले सांसदों में पशुपति पारस के अलावा चिराग के चचेरे भाई प्रिंस राज, चंदन सिंह, वीणा देवी और महबूब अली केशर शामिल हैं। इस प्रकार चिराग अब पार्टी में अकेले बचे हैं।
चाचा पशुपति पारस बनाए गए संसदीय दल के नेता
सूत्रों के अनुसार एलजेपी से अलग होने के बाद पशुपति पारस पार्टी के संसदीय दल के नेता बनाए गए हैं। इन पांच सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को पत्र लिखकर इस आशय की सूचना दे दी है। सूत्रों का यह भी कहना है कि इन सांसदों ने लोकसभा स्पीकर से मांग की है कि उन्हें एलजेपी से अलग मान्यता दी जाए। यदि ऐसा हुआ तो चिराग के लिए बिहार की राजनीति में मुश्किल खड़ी हो जाएगी।
समझा जाता है कि एलजेपी से अलग होने वाले सांसदों ने यह फैसला काफी विचार मंथन के बाद किया है क्योंकि पिछले कुछ दिनों से केंद्रीय मंत्रिमंडल में विस्तार की चर्चा चल रही है। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी कैबिनेट में बदलाव करने की सोच रहे हैं। ऐसे में लगातार सियासत तेज हो रही है।
जदयू में शामिल हो सकते हैं पांचों सांसद
सूत्रों के अनुसार ये पांचों सांसद जदयू में शामिल हो सकते हैं। बताया जा रहा है कि ये सभी सांसद बिहार विधानसभा चुनाव के समय से चिराग पासवान से नाराज चल रहे थे। ऐसे में एलजेपी में इस फूट की अटकलें तो पहले से लगाई जा रही थीं। फिलहाल अब एलजेपी के सामने बड़ा सियासी संकट खड़ा हो गया है।
वैसे भी बिहार विधानसभा चुनाव में एलजेपी ने जब भाजपा-जेडीयू से अलग होकर चुनाव लड़ने का फैसला किया था, तभी से सीएम नीतीश कुमार और उनके पार्टी के लोग चिराग से नाराज चल रहे थे। चुनाव के नतीजों ने भी साफ कर दिया कि चिराग की पार्टी की वजह से ही कई जगहों पर जेडीयू की सीटें कम पड़ गईं।
बिहार विधानसभा में लोजपा की स्थिति शून्य
ज्ञातव्य है कि बिहार में एनडीए गठबंधन से अलग होकर चुनाव लड़ने वाली लोजपा को विधानसभा में केवल एक ही सीट मिली थी। बाद में लोजपा विधायक राज कुमार सिंह जदयू में शामिल हो गए थे। अब लोजपा का बिहार विधानसभा या विधान परिषद में कोई विधायक नहीं है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी में भी घमासान जारी
हालांकि बिहार में नीतीश कुमार की अगुआई वाले सत्तारूढ़ जनता दल (यूनाइटेड) में भी घमासान जारी है। अभी एनडीए गठबंधन में जदयू के 16 सांसद हैं। पिछली बार कैबिनेट विस्तार के समय जदयू के शामिल होने की चर्चा थी। हालांकि अंत में बात नहीं बन सकी थी। अब इधर एलजेपी में फूट की खबर ने सियासत को और तेज कर दिया है।